आखिर क्यों देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी बहु और मासूम पोते को आधी रात में निकाल दिया था घर से ?

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री… इंदिरा गाँधी.. एक मजबूत , बेबाक औरत… जिन्हें राजनीति विरासत में मिली थी… जवाहर लाल नेहरू की एकलौती बेटी… महात्मा गाँधी की चाहती इंदिरा का जीवन काफी दिलचस्प और उतार चढ़ाव वाला रहा है.

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री… इंदिरा गाँधी.. एक मजबूत , बेबाक औरत… जिन्हें राजनीति विरासत में मिली थी… जवाहर लाल नेहरू की एकलौती बेटी… महात्मा गाँधी की चाहती इंदिरा का जीवन काफी दिलचस्प और उतार चढ़ाव वाला रहा है.

इनके जीवन के पन्नों में ऐसी कई कहानियां है जो अनकही और अनसुनी सी है…उन्हीं कहानियों में से आज हम उस कहानी की बात करेंगे जो काफी हैरान करने वाली है … आज बात होगी इंदिरा गाँधी के बड़े बेटे संजय गाँधी की पत्नी के बारे में और गाँधी परिवार कि छोटी बहू के “मेनिका गाँधी ” बारे में. ऐसा कहा जाता है कि मेनिका गाँधी को इंदिरा गाँधी ने आधी रात 12 बजे उनके बच्चे के साथ घर से निकाल दिया था. अगर यह सच है तो आखिर इंदिरा गाँधी ने ऐसा कदम क्यों उठाया? संजय गाँधी के इस दुनिया से चले जाने के बाद उनकी विधवा पत्नी और उनके छोटे से बेटे को घर से निकलने की नौबत क्यों आई?

तो आखिर क्या हुआ था उस रात लेकिन उससे पहले मेनिका और संजय गाँधी के बारे में जान लेते है.

कांग्रेस पार्ट्री का रूतबा… जवाहर लाल नेहरु का नाम और इंदिरा गाँधी की छत्रछाया में संजय गाँधी की परवरिश कुछ ऐसे हुई थी जैसे की पूरी दुनिया उनके मुट्ठी में हो… और उनका attitude भी कुछ ऐसा ही था…. ऐसा कहते है कि संजय गाँधी एक प्रगतिशील सोच वाले नेता थे वो भारत के विकास के लिए शाम दाम दंड भेद तक को अपनाना चाहते थें.. ऐसा भी कहा जता है कि उनको एक डिक्टेटर के तौर पर देखा जाता था.

संजय गाँधी शायद देश को लन्दन बनाना चाहते थे.. और उनकी एक ज़िद कह लीजिये या फिर सपना की वो देश की सड़कों पर सस्ती कारें दौड़ाना चाहते थे… जिसके लिए उनकी माँ ने भी उनका पुरजोर समर्थन किया …

खैर लन्दन से आने के बाद उनकी एक और छवि बनी हुई थी… उन्हें आशिक मिजाज़ के तौर पर देखा जता था… क्योंकि उन दिनों उनके 2 प्रेम प्रशंग काफी चर्चे में थे… जिसमें से एक मुसलमान महिला के साथ था और एक जर्मन महिला के साथ … ऐसा कहा जाता है कि ऐसे कई प्रेम प्रसंग है जिनके चर्चे नही हुए…

लेकिन यह आशिक मिजाजी को आखिरकार लगाम लग ही गई… ये बात उन दिनों की है जब संजय गाँधी 27 साल के थें .. एक दिन वो आपने एक दोस्त की शादी में गए थें … वहीं पर संजय गाँधी ने पहली बार मेनिका गाँधी को देखा था… वहीं दिल दे बैठे थे… उस वक़्त मेनिका बस 17 साल की थीं और मॉडलिंग करती थी . उन्होंने काफी खिताब भी जीत रखे थें. लेकिन वो एक पत्रकार बनना चाहती थी.लेकिन इन सब के बावजूद भी संजय गाँधी के तरफ उनका आकर्षण बढ़ता गया और प्यार परवान चढ़ने लगा.

साल 1974 में संजय गांधी ने मेनका को अपने घर यानी की 1 सफदरजंग रोड पर खाने पर बुलाया , उस दिन “मेनिका भारती” की प्रधानमंत्री से पहली बार मिल रही थीं इसलिए काफी डरी हुई थीं, वो नहीं जानती थीं कि उन्हें क्या बोलना है…. खाना खाते समय इंदिरा गांधी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि क्योंकि संजय ने मुझे तुम्हारे बारे में नहीं बताया है इसलिए बेहतर होगा कि तुम मुझे अपने बारे में बताओ कि तुम्हारा नाम क्या है और तुम क्या करती हो…..

कहा जाता है कि इंदिरा गांधी कभी नहीं चाहती थीं कि वो अपने बेटों को शादी के लिए किसी लड़की से मिलवाएं… अपने बड़े बेटे की तरह ही वो चाहती थीं कि उनके छोटे बेटे भी अपनी पसंद की लड़की से शादी करें…. क्योंकि संजय मेनका को पसंद करते थे इसलिए इंदिरा गांधी के पास उसे नापसंद करने की कोई वजह नहीं थी…

29 जुलाई 1974 को मेनका और संजय गांधी ने दोनों परिवारों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री निवास पर सगाई कर ली…. इस मौके पर इंदिरा गांधी ने अपनी होने वाली बहू को गोल्ड और टरकोइस सेट और एक तंचोरी सारी तोहफे में दी. एक महीने बाद मेनका के जन्मदिन पर इंदिरा गांधी ने उन्हें इटैलियन सिल्क साड़ी तोहफे में दी..

लेकिन संजय गाँधी का 23 जून 1980 को विमान दुर्घटना में निधन हो गया था…. यह भारत के इतिहास की एक ऐसी घटना है, जिसने देश की राजनीति के सारे समीकरण बदल डाले… खैर राजनीति समीकरण पर बात फिर कभी करेंगे…

संजय गाँधी के मौत के बाद जब मेनिका अकेली पड़ गयी थीं तब आए थी गाँधी परिवार में खटास और बदला था इंदिरा गाँधी का व्यवहार

संजय गाँधी के मृत्यु के करीब 22 महीने बाद गाँधी परिवार में ऐसी दरार आई जो आज तक भर नहीं पाई…

यूं तो पहले से ही मेनिका गाँधी को इंदिरा गाँधी कुछ ख़ास पसंद नहीं करती थीं, और यह दोनों ही ठहरी महत्वकांक्षी औरतें. तो दोनों के बीच पटरी नहीं बैठती थी. वहीँ घर में सोनिया गाँधी को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी जिसकी वजह से अकेली मेनिका गाँधी दबा दबा महसूस करती थीं.

1982 के मार्च के महीने में इंदिरा गाँधी ब्रिटेन दौरे पर गई थीं. उसी समय मेनिका गाँधी ने संजय विचार मंच की स्थापना कि और उसके उद्घाटन के लिए लाखनऊ गईं.

जब इंदिरा गाँधी ब्रिटेन दौरे से 28 मार्च 1982 को लौटी तो घर में उनका बेसब्री से इंतज़ार हो रहा था. वह घर आकर सबसे मिली लेकिन जब मेनिका उनके पास गयी उन्होंने उनसे बोला मैं तुमसे बाद में बात करूंगी. दरअसल उन्होंने अंग्रेजी में यह कहा था I WILL TALK TO YOU LATER . उसके बाद फैमिली लंच के लिए उनको मना करवा दिया गया था और उनके कमरे में खाना भिजवा दिया गया था.

दरअसल इंदिरा गाँधी को मेनिका गाँधी का संजय विचार मंच में जाना पसंद नहीं आया और उन्होनें पहले ही इसके लिए मना किया था..

संजय विचार मंच में भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस के युवा नेताओं का सम्मलेन था… और वहां मेनिका गाँधी ने भाषण भी दिया था…

उस मंच पर जाना और भाषण देना इंदिरा गाँधी को पसंद नहीं आया. एक वरिष्ट पत्रकार और लेखक खुशवंत सिंह ने अपने किताब यह लिखा है कि “इंदिरा गाँधी” ने मेनिका से बात करने से पहले धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी को वहां आने का आदेश पहले ही दे दिया था. धवन श्रीमती गाँधी के सेक्रेट्री थे और धीरेन्द्र ब्रह्मचारी उनके योग और अध्यात्मिक गुरु… उन्होंने इन दोनों को पहले इसलिए बुला लिया था ताकि वे मेनका से जो कुछ कहें, वे लोग उसके साक्षी रहें.

साफ़ लफ़्ज़ों में इंदिरा गाँधी ने कुछ ऐसा कहा था “तुम वाहियात टिन्नी-सी झूठी ! तुम धोखेबाज, तुम…! तुम इस घर से एकदम बाहर हो जाओ.” मेनका ने पूछा, ‘क्यों ? मैंने किया क्या है ?’ श्रीमती गांधी वापस चिल्लाईं, “तुमने जो भाषण दिया है, मुझे उसका एक-एक शब्द मालूम है.” मेनिका ने जवाब दिया “वह तो आपने देख लिया था,’. इस जवाब से एक बार फिर विस्फोट हुआ.

फिर मेनिका ने कहा वह अपनी मां के घर नहीं जाना चाहती और उन्हे सामान बांधने के लिए वक्त चाहिए. तो इंदिरा गाँधी ने तल्ख़ स्वर में कहा कि ‘तुम वहीं जाओगी जहां तुमसे कहा जाएगा. तुम्हारी चीजें तुम्हारे पास बाद में भेज दी जाएंगी.’

फिर इंदिरा गाँधी मेनिका के कमरे में तीसरी बार गयी. उनके साथ धीरेन्द्र ब्रह्मचारी भी थे. श्रीमती गाँधी ने धीरेन्द्र ब्रह्मचारी को मेनिका के सामान कि तलाशी करने को बोला. इसी बीच मेनिका ने गुस्से में आकर बोला कि अब जो होगा बहार होगा. उसके बाद प्रधानमंत्री निवास के बाहर मेनिका गाँधी के ट्रंक की तलाशी हुई. वहां मौजूद पत्रकारों आने जल्दी जल्दी तस्वीरे निकाली… उसके बाद मेनिका गाँधी वहां से अपने 2 साल के बेटे के साथ चली गई. और देश के सबसे बड़े परिवार में ऐसी खटास आई जिसके वजह से आज तक सुख दुःख में कभी उन्हें साथ नहीं देखा गया.

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