बड़ी खबर: नोएडा का चिल्ला बॉर्डर दोबारा से सील, धरने पर बैठे किसानों ने बंद किया दिल्ली जाने का रूट
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे किसानों (Farmers) के आंदोलन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है।
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे किसानों (Farmers) के आंदोलन को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। मंगलवार को किसानों ने नोएडा का चिल्ला बॉर्डर दोबारा से सील कर दिया है। धरने पर बैठे अन्नदाताओं ने दिल्ली जाने का रूट बंद कर दिया है। बॉर्डर पर ही किसानों की हड़ताल शुरू हो गई है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। बता दें कि नोएडा का चिल्ला बॉर्डर तीन दिन पहले ही खोला गया था।
भूख-हड़ताल पर बैठे किसान (Farmers)
वहीं, अपनी मांगों को लेकर अड़े किसान (Farmers) आंदोलन को और तेज कर रहे हैं। सोमवार को किसान भूख-हड़ताल पर बैठे। सरकार के साथ कई बार हुई बैठक भी बेनतीजा रही।
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किसान सम्मेलन कर किसानों (Farmers) को मनाएंगी बीजेपी
वहीं, बीजेपी यूपी में किसान सम्मेलन कर किसानों (Farmers) को मनाने का निर्णय लिया है। इस दौरान बीजेपी कृषि कानूनों की बारीकियों के बारे में किसानों (Farmers) को बताएंगी। बीजेपी किसान सम्मेलन पूरे प्रदेश में 18 दिसंबर तक चलेगा। इस सम्मेलन में बीजेपी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित केंद्र सरकार के कई मंत्री शामिल होंगे।
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18 दिसंबर तक चलेगा बीजेपी किसान सम्मेलन (Farmers conference)
खबरों के मुताबिक, बीजेपी किसान सम्मेलन में किसानों (Farmers) को कृषि कानूनों से होने वाले फायदों के बारे में जानकारी देने के लिए 15 दिसंबर को प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह गोंडा में रहेंगे। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या बनारस में और जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह मुरादाबाद में किसानों को जानकारी देंगे।
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इन जिलों में भी आयोजित होगा किसान सम्मेलन (Farmers conference)
इसके साथ ही केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों (Farmers) के बारे में विस्तार से जानकारी देने और उसकी बारीकियां बताने के लिए मंत्री मुकुट बिहारी अमेठी जिले में और मंत्री नीलकंठ तिवारी प्रतापगढ़ में किसान सम्मेलन करेंगे।
किसानों (Farmers) के आंदोलन से हो रहा इतने करोड़ का नुकसान!
बता दें कि भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने केंद्र सरकार और किसान संगठनों से अपील की है कि वह जल्द से जल्द किसान (Farmers) आंदोलन को सुलझाएं। संस्था का कहना है कि इस आंदोलन की वजह से पंजाब (Panjab), हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ रहा है। उनके मुताबिक, इस आंदोलन के चलते हर रोज करीब 3500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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