मथुरा : नुकीली जंजीरों से मिली आज़ादी, हाथी अस्पताल में इलाज के लिए आया नया महमान

“जय”, पचास साल का भीख मांगने वाला हाथी है, जिसे नुकीली जंजीरों में हज़ारों मील चलने के लिए मजबूर किया जाता था, अब आखिरकार राजस्थान वन विभाग ने उसे जब्त कर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद जीवन भर की यातनाओं से मुक्त किया है।

“जय”, पचास साल का भीख मांगने वाला हाथी है, जिसे नुकीली जंजीरों में हज़ारों मील चलने के लिए मजबूर किया जाता था, अब आखिरकार राजस्थान वन विभाग ने उसे जब्त कर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद जीवन भर की यातनाओं से मुक्त किया है। पैरों में नुकीली जंजीरों के कारण उसे गहरी और गंभीर चोटें आई हैं, जिसके उचित उपचार के लिए हाथी को चिकित्सकिय देखभाल के तहत वाइल्डलाइफ एसओएस को सौंप दिया गया है। मथुरा में हाथी अस्पताल जय को विशेष चिकित्सा उपचार और देखभाल प्रदान करेगा।

वाइल्डलाइफ एसओएस को राजस्थान वन विभाग द्वारा 50 साल के एक नर हाथी ( elephant )के बारे में अवगत कराया गया था जिसे क्रूरता के आधार पर उसके मालिक से वन विभाग द्वारा जब्त किया गया था। हाथी elephant ) के पीछे के पैरों में नुकीली जंजीरें बंधी होने के कारण उसके पैरों के घाव इतने बढ़ चुके थे की उसे तत्काल चिकित्सकिय सहायता की आवश्यकता थी। यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि “जय” नाम के हाथी को पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अंत में राजस्थान तक की लंबी दूरी चलने के लिए मजबूर किया जाता था।

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वर्षों की क्रूरता की वजह से उसके पैरों में पैदा हुए दर्दनाक संक्रमित घावों ने उसकी स्वास्थ्य स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रारंभिक मेडिकल परिक्षण से पता चला कि हाथी बाएं आंख में आंशिक रूप से दृष्टिहीन है। वह ऑस्टियोआर्थराइटिस से भी पीड़ित है, और दर्द और सूजन के कारण उसके पैर भयानक स्थिति में हैं।

राजस्थान और उत्तर प्रदेश के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन ने मथुरा स्थित हाथी अस्पताल में उसे लाने के लिए लिखित अनुमति जारी की, जिसके बाद, वाइल्डलाइफ एसओएस से हाथी की देखभाल करने वाली विशेषज्ञों की टीम विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हाथी एम्बुलेंस में राजस्थान तक का सफ़र तय करने के लिए निकल पड़ी। डॉक्टरों के दल ने दर्द से थोड़ी राहत प्रदान करने के लिए हाथी का वहीँ इलाज किया तथा यह सुनिश्चित होने के बाद की वह हाथी अस्पताल तक की यात्रा के लिए फिट है, उसे हाथी एम्बुलेंस में अस्पताल ले आए।

रघुनाथ मिश्रा, डीएफओ, मथुरा ने कहा, “राजस्थान वन विभाग ने इस हाथी को चिकित्सा देखभाल के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस के हाथी अस्पताल भेजने का अनुरोध किया था जिसे अनुमति उत्तर प्रदेश वन विभाग ने दे दी जिससे हाथी को उचित उपचार और देखभाल प्राप्त हो सके।”

हेमंत सिंह, उप-वन संरक्षक, झलावर ने कहा, “नर हाथी “जय” को गंभीर स्वास्थ्य सम्बंधित बीमारियाँ और गहरे घाव है l में उचित उपचार प्रदान करने के समर्पित प्रयासों के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम को धन्यवाद देना चाहूंगा।”

कार्तिक सत्यनारायण, सह-संस्थापक और सीईओ, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा, “हम जय को जिंदगी भर की बुरी यातनाओं से बचाने के लिए राजस्थान वन विभाग के हस्तक्षेप के लिए आभारी हैं और उत्तर प्रदेश के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन द्वारा उसे अस्पताल लाने के लिए जारी की गई त्वरित अनुमति की सराहना करते हैं। हाथी के पैरों में गहरी उभरी हुई नुकीली जंजीरों को देखना एक भयानक दृश्य था। एक भीख मांगने वाले हाथी का जीवन दर्द से भरा होता है और वे गंभीर मानसिक तनाव बर्दाश्त करता हैं, जिसे ठीक होने में सालों लग जाते हैं। अब जब जय हाथी अस्पताल में सुरक्षित रूप से आ गया है, हमारी टीम यह सुनिश्चित करेगी कि उसे वह जीवन मिले जिसका वह हकदार है। ”

वाइल्डलाइफ एसओएस के पशुचिकित्सा अधिकारी, डॉ. राहुल प्रसाद ने कहा, “हाथी कुपोषित है और ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित है तथा बढे हुए नाख़ून और कटे-फटे पैरों ने उसकी सेहत को अत्यधिक प्रभावित किया है। उसे तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता है और हमारी टीम ने पहले ही अपनी उपचार प्रक्रिया शुरू कर दी है। ”

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “नुकीली जंजीरों का उपयोग अवैध है। जब खींचा जाता है, तो ऐसी जंजीरें मांस को फाड़ देती हैं जिससे हाथी को असहनीय दर्द होता है और इस तरह दर्द और भय का उपयोग करके उन्हें नियंत्रित किया जाता है। यह घाव बिना उपचार के अक्सर ठीक नहीं होते और समय के साथ संक्रमित और भयानक हो सकते हैं। ”

वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी, ने कहा, “वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के अनुभवी पशु-चिकित्सक और देखभाल कर्मचारी जय की चिकित्सा प्रगति की बारीकी से निगरानी करेंगे।”

मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस का हाथी अस्पताल, उत्तर प्रदेश वन विभाग के समर्थन से स्थापित किया गया था। नवंबर 2018 में हाथी अस्पताल की स्थापना हुई जहां घायल, बीमार और बूढ़े हाथियों के लिए विशेष चिकित्सा उपचार प्रदान किया जाता है। अस्पताल में वायरलेस डिजिटल एक्स-रे, लेज़र थेरेपी, डेंटल एक्स-रे, थर्मल इमेजिंग, अल्ट्रासोनोग्राफी, हाइड्रोथेरेपी जैसी आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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