सपा प्रमुख से एक बार फिर गिड़गिड़ा रहा है दैनिक जागरण

लखनऊ : कल सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ लगने के बाद दैनिक जागरण होश पाख्ता हो गए हैं. यही कारण है कि वह आज माफ़ी माँगने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव से गिड़गिड़ा रहा है मगर सपा प्रमुख इस बार माफ़ करने के मूड में बिलकुल भी नहीं लग रहे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्यों कि जानकारी के मुताबिक दैनिक जागरण सपा प्रमुख अखिलेश यादव से माफ़ी मांगने के लिए लगातार कॉल कर रहा हैं मगर सपा प्रमुख उनका कॉल उठाने के मूड में बिलकुल नहीं हैं.

कल समाजवादी पार्टी के सिपाह सालारों और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कार्यकर्ताओं ने ट्विटर पर दैनिक जागरण के बहिष्कार के अभियान का ऐसा ट्रेंड चलाया कि एक ही दिन में दैनिक जागरण का दिवाला निकल गया और जितने बड़े कॉलम में अपनी गलती छापी थी उससे भी बड़े कॉलम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव से माफीनामा छापा है. कल पूरे दिन सोशल मीडिया पर दैनिक जागरण के खिलाफ चले ट्रेंड ने दैनिक जागरण को समाजवादी परिवार की ताकत का एहसास भी करा दिया है.

पूरे उत्तर प्रदेश में कल समाजवादी कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह दैनिक जागरण अख़बार की प्रतियाँ जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। आज दैनिक जागरण ने फ्रंट पेज पर माफीनामा छापा है.

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में समाचार पत्र दैनिक जागरण के प्रति आज भारी आक्रोश है. इसका कारण है दैनिक जागरण अखबार का गोरखपुर संस्करण में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की फोटो लगाकर शराब और बियर की बिक्री के लिए खबर प्रकाशित कर उनकी छवि को धूमिल करना है। इससे पहले भी दैनिक जागरण ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की फोटो का गलत इस्तेमाल करते हुए उनकी छवि को धूमिल कर चुका है जिसके लिए उसने माफ़ी भी मांगी थी. परन्तु दैनिक जागरण के इस कृत्य से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश है.

समाजवादी अपना तेवर नहीं भूले हैं- समाजवादी छात्र सभा निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव

समाजवादी छात्र सभा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह देव ने कहा कि हम दैनिक जागरण से यही उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसी गलती दुबारा न करें अन्यथा इस बार पेपर ही जलाया है अगली बार कुछ और भी बड़ा हो सकता है. ये न भूले कि समाजवादी पार्टी माननीय मुलायम सिंह यादव जी की वही 1994 वाली पार्टी है. 1994 में दैनिक जागरण के साथ क्या हुआ था ये अपने पुराने इतिहास में जाकर देख ले. न तो समाजवादी अपना तेवर भूले हैं और न बदलें हैं. ये वही पुराने समाजवादी हैं. तो बहुत अच्छा होगा कि कोई भी प्रिंट/इलेक्ट्रानिक मीडिया समाजवादियों को पुराने रंग में लाने का प्रयास न करें.

जब माननीय नेता जी मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर सपा कार्यकर्ताओं ने चलाया था हल्ला बोल अभियान :- 

हल्ला बोल (“अपनी आवाज़ उठाएं”) 1994 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव द्वारा दो हिंदी अख़बारों, दैनिक जागरण और अमर उजाला जिनकी उस ज़माने में तूती बोला करती थी और इनकी ख़बरें देश में बड़ा मायने रखतीं थी. क्यों कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इतने प्रचलन में नहीं थी.

उस समय दैनिक जागरण और अमर उजाला के खिलाफ एक अभियान शुरू किया गया था. जिसके 70 प्रतिशत हिंदी पाठक उत्तर प्रदेश राज्य का था। दैनिक जागरण ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर नेता जी के कुछ बयानों को गलत तरीके से अख़बार में छापा था.

12 अक्टूबर 1994 को एक जनसभा को संबोधित करते हुए मुलायम सिंह यादव ने “हल्ला बोल” दो पत्रों की निंदा की, उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को, “कमिंग द तूफानी” कहा।

उन्हें क्यों पढ़ा, उन्होंने उनसे कहा, आपको उन्हें देखना भी नहीं है। किसी भी व्यक्ति को कोई संदेह नहीं था कि उनका क्या मतलब है: उन्हें दिखाई न दें, यही इसका मतलब है।

उस कॉल के बाद, दलालों और समाचार पत्रों को बेचने वाले समाचार पत्रों पर पार्टी कार्यकर्ताओं का आक्रोश निकला। समाचार पत्र दैनिक जागरण ले जाने वाले वाहन मार्गों में जलाये गए। उसके बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उस ज़माने में दैनिक जागरण की मुख्य ऑफिस विधायक निवास दारुल सफा के सामने स्थित तेज कुमार प्लाजा के पास हुआ करती थी उसका घेराव कर लिए थे. उस समय के संपादक को व उनके आवास को घेर लिया था. जिसके बाद समाचार पत्र दैनिक जागरण की देश में बहुत थू-थू हुई थी. अपने नेता की छवि के खिलाफ समाचार पत्रों में झूठी खबर प्रकाशित होने से आक्रोशित होकर पूरे प्रदेश एवं देश में हल्ला बोल कर दिया था।

दैनिक जागरण और अमर उजाला के खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं का आक्रोश बिजली बनकर गिरा। दैनिक जागरण की लाखों प्रतियों को जला दिया गया था।

अब आज के दौर को देखकर ऐसा लग रहा है कि 1994 वाली समाजवादी पार्टी का वही दौर वापस आ रहा है. आज के दौर में सपा कार्यकर्ता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव में उस दौर के नेता जी की छवि देख रहे हैं. सपा कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी सत्ता में आये या न आये मगर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के सम्मान के साथ किसी भी तरह का कोई समझौता करने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं.

1994 के उस दौर में नेता जी (मुलायम सिंह यादव) और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी के करीबी हल्ला बोल में साथी रहे उस समय के युवा नेता पूर्व सांसद एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सिंह बताते हैं कि प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया  हमको 1994 के दौर में ले जाने पर मजबूर न करें। 1994 में हमारे नेता आदरणीय मुलायम सिंह यादव की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया था तो दैनिक जागरण को पता है कि हम समाजवादियों ने इसका जवाब किस तरह से दिया था. अगर हमारे नेता माननीय अखिलेश यादव जी की छवि को कोई धूमिल करने का प्रयास करेगा तो हम समाजवादी 12 नवम्बर 1994 को दोबारा दोहरने में अभी भी सक्षम हैं. हमने अपने नेता जी की छवि को न उस समय धूमिल होने दिया था और न आज हम अपने नेता मा. अखिलेश यादव की छवि को धूमिल होने देंगे। हम अपने नेता मा. अखिलेश यादव की छवि में आदरणीय नेता जी (मुलायम सिंह यादव) जी की छवि को देखते हैं.

मीडिया को ये याद रखना चाहिए कि सरकारें कोई स्थाई नहीं होतीं सरकारें आती और जाती रहती हैं परन्तु मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ बनकर निष्पक्षता से काम करना चाहिए. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं का जोश इसी तरह अपने चरम सीमा पर बना रहेगा।

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