किन्नर भी करते हैं धूमधाम से शादी, फिर करते हैं ये काम…
किन्नरों की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. कुछ लोगों का कहना है कि, किन्नर ब्रह्मा जी से उत्पन्न हुए हैं तो वहीं कुछ कहानियों में इनकी उत्पत्ति अरिष्टा और कश्यप ऋषि से बताया जाता है. इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि, महाभारत में जिस शिखंडी की वजह से अर्जुन ने भीष्म को हराया था वो भी किन्नर था. इन सब बातों में विरोधाभास है क्योंकि किन्नरों की उत्पत्ति के बारे में हमारे पास लिखित प्रमाण नहीं हैं.
दुनिया रहस्यों से भरी पड़ी है. हमारे आसपास बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में हम अनजान रहते हैं. कुछ ऐसी ही बातें हमारे समाज में रहने वाले किन्नरों(transgenders) के बारे में हैं जिनकों लेकर समाज में तमाम तरह की धारणाएं और किस्से कहानियां सुनी-सुनाई जाती हैं. तो आइये आज हम आपको बताते हैं किन्नरों से जुड़ी कुछ रहस्यमय और अद्भुत बातें…
किन्नरों की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. कुछ लोगों का कहना है कि, किन्नर ब्रह्मा जी से उत्पन्न हुए हैं तो वहीं कुछ कहानियों में इनकी उत्पत्ति अरिष्टा और कश्यप ऋषि से बताया जाता है. इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि, महाभारत में जिस शिखंडी की वजह से अर्जुन ने भीष्म को हराया था वो भी किन्नर था. इन सब बातों में विरोधाभास है क्योंकि किन्नरों की उत्पत्ति के बारे में हमारे पास लिखित प्रमाण नहीं हैं.
किन्नरों(transgenders) को समाज में गिरी नजरों से देखा जाता है. उनके बारे में लोगों के अंदर ऐसी धारणा बनी हुई है जिसको निकालना इतना आसान नहीं है. किन्नरों की जीवनशैली बेहद कठिन होती है. इनके अलग आराध्य होने के साथ ही समाज की मुख्य धारा से काट दिया गया है.
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इनके बारे में कुछ रोचक बातें हैं- जैसे कहा जाता है कि, ये भी शादी करते हैं और इनके भी गुरु होते हैं. किन्नर(transgenders) अपने आराध्य देवता से शादी करते हैं जिनका नाम भगवान अरावन है. ये शादी सिर्फ एक दिन के लिए मान्य होती है. किन्नर बरूचा माता की पूजा करते हैं और उनसे माफी मांगते हैं अपने पिछले जन्म में किए गए पापों की और प्रार्थना करते हैं कि, अगले जन्म में उन्हें इस घुटन और शर्मिंदगी भरी जिंदगी के लिए पैदा मत कीजिए.
जिन किन्नरों को समाज ने अनदेखा करके उन्हें मुख्य धारा से बाहर कर दिया है लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज कुछ उनकी ऐसी बातें हैं जिसके लिए आज भी उसको ‘गोल्डन एरा यानि की स्वर्ण युग’ के नाम से जाना जाता है.
कहा जाता है कि, मुगल काल में किन्नरों(transgenders) को महिलाओं के हरम की रक्षा करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. अब ऐसे में भले ही इनको हरम की रक्षा ही सही लेकिन इस काबिल समझा गया कि, वो भी इस समाज का हिस्सा हैं और समाज से अलग नहीं हैं. किन्नरों को मुगल काल के राजाओं ने न सिर्फ रानियों की सुरक्षा के लिए बल्कि सेना में अहम पद भी दिए. कुछ को सेना में जनरल तक बनाया है.
किन्नर साल में एक ऐसा पर्व मनाते हैं जिसमें सारे किन्नर शामिल होते हैं. ये स्थान मद्रास से करीब 400 किलोमीटर दूर कूवगम गांव में होता है. ये फेस्टिवल साल में एक बार मनाया जाता है जिसमें देश के सारे किननर जमा होते हैं और खुशियां मनाते हैं.
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