BirthdaySpecial: ‘जिन्हे माना गया हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शोमैन’
जिन्हे माना गया हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शोमैन,नाम रणबीर राज कपूर जिन्हे हम प्यार से सिर्फ राजकपूर के नाम से जानते है। राज साहब का जन्म 14 दिसंबर सन 1924 में हुआ।
जिन्हे माना गया हिंदुस्तान का सबसे बड़ा शोमैन,नाम रणबीर राज कपूर जिन्हे हम प्यार से सिर्फ राजकपूर (Raj Kapoor)के नाम से जानते है। राज साहब का जन्म 14 दिसंबर सन 1924 में हुआ। इलाका था ढक्की मुन्नवर शाह पेशावर जो की आज़ादी से पहले भारत में था। बटवारे के बाद से पाकिस्तान का ये हिस्सा हो गया l
राज कपूर साहब के पिता महान अभिनेता पृथ्वी राज कपूर और माँ रामसरनी देवी कपूर अपने माता पिता के छ बच्चो में ये सबसे बड़े थे l हालांकि छ बच्चो में से सिर्फ चार ही बचे -राज कपूर शशि कपूर शम्मी कपूर और बहन उर्मिला सयाल शम्मी कपूर और राज कपूर (Raj Kapoor)के बीच में दो और भाई थे l वो दोनों बचपन में ही गुज़र गए बाद में इनका परिवार पेशावर से पंजाब में आके बस गया l
राजकपूर (Raj Kapoor)की शुरुआती पढ़ाई कर्नल ब्राउन कम्ब्रिज स्कूल देहरादून में हुई l पिता पृथ्वीराज कपूर अलग जगह थिएटर का हिस्सा बनते रहे राजकपूर साहब भी उसी राह पर चल पड़े और पिता के साथ एक्टिंग करने लगे l ये कहानी मशहूर है की जब इनका परिवार कोलकाता में रहता था। वहां घूब बारिश हुई l राज साहब की माँ ने इनके पिता से कहा क्या आज राज घर की गाड़ी बैठ के स्कूल जा सकता है क्या?
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पृथ्वी राजकपूर साहब बड़े सख्त थे उनका ये मानना था की बच्चो को शुरुआत में ही ऐशो आराम नहीं देना चाहिए इस पर पृथ्वीराज कपूर ने कहा वैसे तो बहुत सारे लोग होंगे जो अपने ट्राम्स पकड़ कर अपने अपने काम पे जा रहे होंगे इस बरसात में लेकिन अगर वाक़ई देर हो रही है और राज को गाड़ी चाहिए ही तो भेज दो ये बात राजकपूर साहब सुन रहे थे।
केदार शर्मा साहब एक फ़िल्म डायरेक्ट कर रहे थे
वो चुप चाप हाथ में छतरी लिए निकल पड़े मात्र दस साल की उम्र में राज साहब फ़िल्म में नज़र आये थे l फ़िल्म थी 1935 की इंक़लाब छोटी बड़ी फिल्मो में ये काम करते रहे और फिर इन्हे केदार शर्मा जी का साथ मिला l केदार शर्मा साहब एक फ़िल्म डायरेक्ट कर रहे थे जिसमे राज कपूर को बतौर क्लैपर बॉय लिया गया राजकपूर साहब अपने बाल ठीक करने में इतने मशगूल थे की जैसे ही कलैप मारी l हीरो की मूछ बाहर निकल गयी एक बार नहीं कई बार राज साहब ठीक से क्लैप नहीं दे पाए थे।
….तो कुछ लोगो से उधार लेके पैसे इक्क्ठा करके
तब गुस्से में आकर डायरेक्टर केदार शर्मा ने उन्हें एक थप्पड़ जड दिया बाद में केदार शर्मा ने ही राजकपूर (Raj Kapoor) साहब को ब्रेक भी दिया फ़िल्म बनायीं 1947 की नील कमल,जिसमे राज साहब के साथ मधुबाला थी l 1948 में राजकपूर साहब 24 बरस के हो गए थे l और मन बनाया की खुद ही फिल्मो को प्रोडूयूस करेंगे इनके पिता जी ने इन्हे समझाया बेटा बिना पैसे के फिल्मे नहीं बन सकती तो कुछ लोगो से उधार लेके पैसे इक्क्ठा करके इन्होने फ़िल्म बनायी आग तब डिस्ट्रीब्यूटर ने कहा राज साहब आप एक थिएटर क्यों नहीं बना लेते ताकि आग लगे तो आपके थिएटर में भी लगे l
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ये ताना राज साहब को लग गया l बस क्या था फ़िल्म आग ने बॉक्स ऑफिस पे वो धमाल तो नहीं कर पायी पर फिल्मो को देख कर ये ज़रूर लग गया की राज साहब अपना काम बखूबी जानते है और उसी आग की लपटों ने राजकपूर (Raj Kapoor) को और आगे बढ़ाया l राजकपूर एक्टर डायरेक्टर दोनों काम करने लगे,जल्द ही इन्होने अपना आरके बैनर बना लिया फ़िल्म बरसात के रिलीज़ के बाद इन्होने बतौर प्रोडूसर सफलता देखी नरगिस जी और इनका एक दृश्य था जिसे बाद में आरके बैनर का लोगो बना लिया गया l
फिर तो राजकपूर ने पलट कर नहीं देखा l इन्होने अपना स्टूडियो बनना चाहा तब इनकी वाइफ ने कहा पहले मकान तो ले लो तब राज साहब ने कहा देखो कृष्णा जिनके मकान बन जाते है उनके स्टूडियो नहीं बन पाते और जिनके स्टूडियो बन जाते है,उनके मकान ज़रूर बनते है l शुरुआती दौर में आर के स्टूडियो बिना छत के स्टूडियो था दिन रात मेहनत करते रहे और आरके स्टूडियो पे छत भी पड़ गयी l राजकपूर साहब की खूब चल रही थी।
चाहे वो आवारा श्री 420, चोरी चोरी. जागते रहो. या फिर. जिस देश में गंगा बहती है. राज साहब को अवार्ड से भी नवाज़ा जा रहा था,और ये फिल्मे प्रोडयूस कर रहे थे जैसे बूट पोलिश अब दिल्ली दूर नहीं इनकी पत्नी कृष्णा खन्ना के भाई प्रेम नाथ राजेंद्र नाथ नरेन्द्र नाथ थे.. अभिनेता प्रेम चोपड़ा भी राजकपूर के साढ़ू है l
60 के दशक के अंत तक आते-आते राजकपूर साहब ने ठान लिया कि अब वो ऐसी फ़िल्म बनाएगे जो उनके जीवन से जुडी होगी और वो फ़िल्म थी मेरा नाम जोकर राजकपूर पूरी दुनिया में मशहूर थे खास तौर पे चाइना और रशिया में रशियन सर्कस के बहुत से कलाकार मेरा नाम जोकर में नज़र आये इस फ़िल्म में इंडस्ट्री के बड़े बड़े एक्टर ने काम किया l पर फ़िल्म उम्मीदो पर खरी नहीं उतरी,इस चक्कर में बहुत कुछ नीलाम भी हुआ इनका लगा की राजकपूर साहब का अब दौर गया और इसके बाद इन्होने अपने राइटर टीम से कहा,एक कहानी लिखो जो की मेरा नाम जोकर के पहले भाग पर आधारित होंगी l
जिसमे हीरो होगा मेरा बेटा चिंटू यानी ऋषि कपूर और हीरोइन होंगी एक नयी लड़की डिपंल कापड़िया और वो फ़िल्म बनी बॉबी जिसने बॉक्स ऑफिस पे धमाल कर दिया वो और बात है आगे चलकर मेरा नाम जोकर ने वो ख्याति प्राप्त की इनके परिवार को बड़ा गर्व हुआ l एक बड़ा कॉम्पीटिशन रहा राजकपूर. देव आनंद. और दिलीप कुमार के बीच,पर इन तीनो की फिल्मे अपनी अपनी अलग पहचान रखती थी l
राज साहब के निर्देशन में इनके परिवार के कई लोगो ने काम किया
राजकपूर साहब को कई बड़े अवार्ड से नवाज़ा गया और आज भी खानदान मनोरंजन की इंडस्ट्री से जुडा है. इनके पुत्र ऋषि कपूर अब इस दुनिया में नहीं रहे,पर उनका भी फ़िल्म जगत में एक बड़ा योगदान है राज कपूर के पोते को भी राज कपूर का ही नाम दिया गया रणबीर कपूर राज साहब के निर्देशन में इनके परिवार के कई लोगो ने काम किया l पृथ्वीराज कपूर शशि कपूर शम्मी कपूर ऋषि कपूर. राजीव कपूर. पर इनके बड़े बेटे रणधीर कपूर ने उनके डायरेक्शन में कभी काम नहीं किया वो वक़्त भी आया जब राज साहब को दादा साहब फाल्के अवार्ड दिया जाना था l इनकी उम्र 63 बरस थी. और ये अस्थमा से पीड़ित थे. साल था 1988..
इससे पहले ये अवार्ड ले पाते प्रेसिडेंट साहब खुद इनके पास पहुंचे और अवार्ड लेते लेते ही राज कपूर साहब की हालत बिगड़ने लगी इन्हे दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती किया गया पर कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था 2 जून सन, 1988 राजकपूर का निधन हो गया l इन्होने एक फ़िल्म हिना की शुरुआत की थी जिसे बाद में इनके बच्चो ने पूरा किया l भारतीय सिनेमा के इतिहास में यक़ीनन राज कपूर जैसा शो मैन ना कोई था ना कोई होगा l
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