किसान आंदोलन कहीं बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं ? आखिर देशद्रोहियों के रिहाई की क्यों उठ रही मांग ?
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर किसान पिछले 16 दिनों से लगातार दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत है।
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर किसान पिछले 16 दिनों से लगातार दिल्ली की सड़कों पर आंदोलनरत है। इसके लिए सरकार और किसान नेताओं के बीच पांच चरणों की वार्ता होने के बावजूद कोई हल नहीं निकल सका। हालांकि सरकार कानून में बदलाव की बात कर रही है, जबकि किसान कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इसी कड़ी में किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने लगाए आरोप
किसान आंदोलन पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि, किसान आंदोलन में दिल्ली दंगे के आरोपियों और नक्सल समर्थकों के पोस्टर क्यों दिखे ? उन्होंने कहा कि ये पोस्टर किसानों के मुद्दों से कैसे जुड़े हो सकते है। वहीं अन्य कई जगहों से ऐसी बातें सामने आ रही हैं कि किसान आंदोलन को लेफ्ट के अतिवादी नेताओं और वामपंथी, चरमपंथी तत्वों ने हाईजैक कर लिया है।
नजर आए राष्ट्रद्रोहियों के पोस्टर
हाल ही में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठन के मंच पर दिल्ली दंगो और भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपियों की रिहाई की मांग के बैनर लगाए गए थे। इन पोस्टरों पर लिखा गया था कि, झूठे केसों में गिरफ्तार किए गए बुद्धिजीवियों और विद्यार्थी कार्यकर्ताओं को रिहा करो। इतना ही नहीं किसानों के मंच पर शरजील इमाम और उमर खालिद के भी पोस्टर नजर आए।
किसानों से नहीं सीधा संबंध
बताते चलें कि शरजील और उमर दोनों पर राष्ट्रद्रोह का मामला चल रहा है। अब ऐसे में किसान आंदोलन में इनकी रिहाई की आवाज क्यों उठाई जा रही है, यह एक बड़ा सवाल है। हालांकि इन मामलों पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि इस तरह के आयोजनों से किसानों का सीधा संबंध नहीं है। लेकिन किसान संगठनों को इन्हें नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
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