राजस्थान की गहलोत सरकार पर संकट!, इन विधायकों ने वापस लिया समर्थन

पंचायत समिती चुनाव में कांग्रेस के हारने के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के सामने एक बार फिर सियासी संकट खड़ा हो गया है। पंचायत चुनाव में नाराजगी के चलते भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के विधायकों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है।

पंचायत समिती चुनाव में कांग्रेस के हारने के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार के सामने एक बार फिर सियासी संकट खड़ा हो गया है। पंचायत चुनाव में नाराजगी के चलते भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के विधायकों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है।

राजस्थान की कांग्रेस सरकार से समर्थन लिया वापस

बता दें कि इस साल की शुरुआत में जब सचिन पायलट के नाराजगी जताने के बाद गहलोत सरकार ने अपना बहुमत साबित किया था, तब से बीटेपी के दोनों विधायक लगातार गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे थे। अब दोनों विधायकों ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है।

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बीटीपी के इन विधायकों ने वापस लिया अपना समर्थन

दरअसल, बीटीपी के दोनों विधायकों राजकुमार रोत और रामप्रसाद ने पार्टी अध्यक्ष और गुजरात के विधायक महेश वसावा से समर्थन वापस लेने की बात कही थी, जिसके बाद इस पर निर्णय लेते हुए उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया।

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गहलोत सरकार पर नहीं पड़ेगा कोई खास असर

हालांकि, दो विधायकों के समर्थन वापस लेने से अशोक गहलोत सरकार पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अब कांग्रेस के पास राज्य में बहुमत है। लेकिन कुछ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से अभी गहलोत सरकार के पास 118 हैं, जिसमें कई निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं।

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बीटीपी के विधायकों के समर्थन वापस लेनी की वजह?

वहीं, बीटीपी के समर्थन वापस लेने के पीछे की वजह पंचायत समिति चुनाव में मिली कांग्रेस की हार को माना जा रहा है।

बीटीपी के प्रदेशाध्यक्ष वेलाराम घोघरा ने कहा कि पंचायत समिति चुनाव से भाजपा और कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया। बहुमत होने के बाद भी बीटीपी इन दोनों पार्टियों की ‘मिलीभगत’ से वह डूंगरपुर में अपना जिला प्रमुख और तीन पंचायत समितियों में प्रधान नहीं बना पाई। ऐसे में हम राज्य की गहलोत सरकार से अपने रिश्ते खत्म कर रहे हैं।

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