स्पेशल स्टोरी उन्नाव- शिक्षा विभाग के मगरों ने डकारे 4.99 करोड़
शिक्षा विभाग की काली करतूतें पिछले कुछ दिनों में सबके सामने आ चुकी है,वर्ष 2017-18 के उन्नाव में हुए 9.97 करोड़ के घोटाले का खुलासा पहले ही हो चुका है और शासन की ईओडब्ल्यू ने माना भी जिले के डीएम और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मिलकर 10 करोड़ डकारे है।
शिक्षा विभाग की काली करतूतें पिछले कुछ दिनों में सबके सामने आ चुकी है,वर्ष 2017-18 के उन्नाव में हुए 9.97 करोड़ के घोटाले (Scam) का खुलासा पहले ही हो चुका है और शासन की ईओडब्ल्यू ने माना भी जिले के डीएम और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मिलकर 10 करोड़ डकारे है।
अब इसी कंपोजिट ग्रांट में हुए 4.99 करोड़ के दूसरे घोटाले का खुलासा करने जा रहा है अंतर इतना है कि पहले घोटाले (Scam) में पूर्व डीएम भी शामिल थे जबकि दूसरे घोटाले को जिले 14 खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने मिलकर अंजाम दे डाला।
शिक्षा विभाग के केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने ये आदेश
बता दें कि वर्ष 2018-19 में जब उन्नाव जिले को दूसरी क़िस्त सरकार की तरफ से दी गई तो पहले हड्डी का स्वाद चख चुके खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने बड़ा खेल कर डाला, शिक्षा विभाग के केंद्र और राज्य दोनों सरकारों ने ये आदेश दिया था।
कि प्रथमिक और जूनियर विद्यालयों के लिए आने वाली खेलकूद किट और लाइब्रेरी किट की खरीद विद्यालय की स्वम् विद्यालय प्रबन्ध समिति करेगी लेकिन जब 4.99 करोड़ का बजट शिक्षकों के खातों में आया तो उनपर इतना दबाव बनाया गया कि वो सभी ये किट बीआरसी से ही ले और एक ही व्यक्ति की तीन फर्मो को पूरा ठेका देकर सभी शिक्षकों से जबरन किट ख़रीदवाई गई
फ़र्ज़ी जाँच खोल कर दबा दिया या उसका ट्रांसफर कर दिया
इतना ही नही ये सभी घूसखोर खण्ड शिक्षा अधिकारियों ने 10-10 हजार की किट में महज 3-3हजार का समान जबरन शिक्षिकाओं को थमा दिया और जब किसी शिक्षक ने आवाज उठानी सुरू की तो उसपर फ़र्ज़ी जाँच खोल कर दबा दिया या उसका ट्रांसफर कर दिया हालांकि की आप शासन से दी गई गाइड लाइन को स्पष्ट पढ़ सकते है जिसमे ये कहा गया है ये किट सिर्फ प्रबंध समिति ही खरीदेगा
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इस कंपोजिट ग्रांट घोटाले पर तब मोहर और लग गई जब इन घोटालो से ऊभ चुके शिक्षकों ने न सिर्फ कैमरे के सामने सब बयाँ किया बल्कि वो बिल भी मुहैया कराए जिसमे एक ही व्यक्ति की फर्मो से ये किटें खरीदी गई थी।
मजे की बात तो यह है इन रसीदों में कही भी नही दरसाया गया कि 10-10 हजार प्रति स्कूलों से जबरन लेने वाली फार्म कितने का समान दे रही बस इन रसीदों में सिर्फ रक़म डाल दी गई।
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जब पूरा मामला डीएम रविंद कुमार के सामने आया तो कंपोजिट ग्रान्ट फर्स्ट के नाम से डरे डीएम ने सब कुछ बीएसए के ऊपर डाल दिया।अब बीएसए साहेब इसकी जांच कर शासन को रिपोर्ट भेजने की बात कर रहे है फिलहाल 4.99 करोड़ डकार कर बैठे जिले के खण्ड शिक्षा अधिकारी अब अधिकारियों पर भी दबाव बनाने में जुट गए है
उन्नाव- नीरज द्विवेदी
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