कांट्रैक्ट फॉर्मिंग कर रहे किसानों ने आंदोलन को लेकर कही ये बड़ी बात…

कृषि कानून 2020 के विरोध पर हरियाणा पंजाब के किसान दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में धरने पर मौजूद है और 8 दिसंबर को उन्होंने भारत बंद का ऐलान कर दिया है जिसको लेकर देशभर में किसानों को इकट्ठा करने की तैयारी चल रही है।

कृषि कानून 2020 के विरोध पर हरियाणा पंजाब के किसान (Farmers) दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में धरने पर मौजूद है और 8 दिसंबर को उन्होंने भारत बंद का ऐलान कर दिया है।  जिसको लेकर देशभर में किसानों को इकट्ठा करने की तैयारी चल रही है। इस धरने को किसानों का समर्थन मिले या ना मिले लेकिन राजनीतिक पार्टियों का समर्थन इस आंदोलन को जरूर मिल रहा है।

बागपत जनपद के बड़ागांव जो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पड़ता है

लेकिन कृषि कानून को लेकर खेती से जुड़े किसानों की राय जानना भी बहुत जरूरी है और इसी बातचीत के लिए आज हम पहुंचे बागपत जनपद के बड़ागांव जो दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पड़ता है और यहां के किसान कांटेक्ट फॉर्मिंग कर पिछले 10 साल से लाभ ले रहे हैं।

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कंपनियों को अपनी फसल बेच सकें

किसानों का मानना है कि कांटेक्ट फार्मिंग एक अच्छा उपाय है इससे किसानों की फसलों के दाम पहले ही तय हो जाते हैं लेकिन इसमें किसानों के लिए भी प्रावधान होना चाहिए कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कंपनियों को अपनी फसल बेच सकें ताकि किसानों को हानि ना हो सके।

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इसके साथ ही किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी रूप देने के लिए भी कहा है किसान मानते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा जो निर्धारित किया गया है उस पर कहीं भी खरीद नहीं होती है और किसानों की मजबूरी है कि वह भंडारण नहीं कर सकते और न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर उन्हें अपनी फसल बेचने पड़ती है, इसलिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिनियम में संशोधन करें और यह तय करें कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे कोई भी कंपनी या खरीदार किसानों से फसल न खरीद सके।

एक डेडलाइन खींचकर सरकार का विरोध करना

8 दिसंबर को भारत बंद को लेकर भी किसान अलग ही राय रखते हैं किसान एक तरफ धरने को समर्थन तो करते हैं लेकिन दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि सरकार से बातचीत करने वाले लोग किसानों की हित की बात नहीं कर रहे हैं उन्हें सरकार के सामने अपनी बात रखनी चाहिए और अधिनियम में संशोधन कराना चाहिए न की एक डेडलाइन खींचकर सरकार का विरोध करना। दोनों तरफ से बातचीत होगी तभी समस्या का समाधान होगा इसके साथ ही उन्होंने धरने को राजनीतिक रूप देने की आशंका जताई है जो किसान के हित में नहीं होगी।

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