…तो इसलिए बाघ की खाल पहनते हैं भगवान भोलेनाथ, रहस्य जानकर उड़ जाएंगे होश

देवों के देव महादेव, शंकर त्रिपुरारी, भोले भंडारी, ऐसे तमाम नाम हैं जिनके जरिए भगवान शिव की हम आराधना करते हैं और उनके नाम का स्मरण करते हैं.

देवों के देव महादेव, शंकर त्रिपुरारी(shiv ji), भोले भंडारी, ऐसे तमाम नाम हैं जिनके जरिए भगवान शिव की हम आराधना करते हैं और उनके नाम का स्मरण करते हैं. शिव जी पहनावे को लेकर हमारे दिमाग में बहुत सारे सवाल आते हैं कि, आखिर शिव जी बाघ की खाल क्यों पहनते हैं, जटाओं से गंगा क्यों बहती है, रूद्राक्ष की माला क्यों पहनते हैं, हाथ में त्रिशूल क्यों रखते हैं और दूसरे हाथ में डमरू का क्या रहस्य है? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आपको शिव पुराण के अलावा कई अन्य शास्त्रों में मिल जाएगा जिनमें भोलेनाथ का जिक्र है. भगवान शिव को बाघम्बर के नाम से भी जाना जाता है. इसके पीछे एक लंबी कहानी है जिसे हम आपको बताने जा रहे हैं.

दरसअल, शिव जी(shiv ji) के बाघ की खाल पहनने के पीछे की कहानी का शिव पुराण में वर्णन किया गया है. शिव पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव जी ब्रह्मांड की यात्रा पर निकले और एक जंगल से होकर जा रहे थे. तभी वहां पर पहले से मौजूद कुछ ऋषि-मुनियों को शंकर जी के आने की खबर हो गई. उन्होंने देखा कि, एक व्यक्ति जो नग्न अवस्था में जंगलों की तरफ आ रहा है. ऋषियों ने भगवान भोलेनाथ के रास्ते में एक गड्ढा खोद दिया और उसमें एक बाघ को पहले से छोड़ दिया.

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शंकर जी(shiv ji) जैसे ही वहां से गुजरे वो गड्ढे में गिर गिए. संतों को लगा कि, बाघ उन्हें मारकर खा जाएगा, लेकिन जब शिव जी बाहर निकले तो वो बाघ की खाल पहने हुए थे. जिसे देखकर सभी संत आश्चर्यचकित हो गए. ऋषियों को तब एहसास हुआ कि, ये कोई साधारण मानव नहीं है. क्योंकि उसने बाघ को परास्त कर उसकी खाल पहन ली थी. कहा जाता है तभी से भगवान शिव(shiv ji) बाघ की खाल पहनने लगे और उनका नाम बाघम्बर पड़ गया.

शंकर भगवान(shiv ji) अपने भक्तों की छोटी से छोटी आराधना पर भी खुश हो जाते हैं और उनकी सारी मनोकामना पूरी कर देते हैं. भगवान शिव की पूजा करने वाले कभी दुखी नहीं रहते हैं और उनको किसी का डर नहीं रहता है. कहा जाता है कि, भगवान शिव की आराधना करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है और काल भी उसका कुछ नहीं कर सकता है. भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है.

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