BJP की साजिशों का देशव्यापी विरोध हो रहा है: पूर्व सीएम अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) ने कहा है कि भाजपा के कुशासन से समाज का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) ने कहा है कि भाजपा के कुशासन से समाज का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त है। किसान अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं। कृषि विरोधी कानूनों के जरिए किसान को अपनी खेती से बेदखल करने और पूंजी घरानों की मर्जी पर उसकी जिंदगी बंधक बनाने की साजिशों का देशव्यापी विरोध हो रहा है। किसान के साथ जनसामान्य भी तमाम परेशानियों से गुजर रहा है। भाजपा चारों तरफ भ्रम फैलाकर अपना स्वार्थ साधन करना चाहती है पर अब लोग उसमें फंसने वाले नहीं है।

अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) ने कहा कि, आज यह स्थिति है कि कर्ज के बोझ तले दबकर किसान आत्महत्या कर रहा है। बांदा में गिरवा थाना क्षेत्र के बरई मानपुर गांव में कर्ज से बदहाल किसान गोविन्द (55) ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। आजमगढ़ में क्रय केन्द्रों पर कभी बोरे की कमी तो कभी धान की उठान न होने से किसान परेशान है। शासन-प्रशासन के न्यूनतम समर्थन मूल्य और डेढ़ गुना उत्पादन लागत दिलाने के दावे झूठे साबित हो रहे हैं। डॉ. स्वामी नाथन की सिफारिशें भी लागू नहीं की गई। तथाकथित कृषि सुधारों के प्रति अविश्वास घर कर गया है। अब किसान अपनी समस्याओं का तत्काल समाधान और जवाब चाहता है। लोकतंत्र में उनके साथ अलोकतांत्रिक व्यवहार क्यों किया जा रहा है? भाजपा सरकार किसानों से लम्बी वार्ता षडयंत्र के तहत कर रही है। लेकिन इससे वह आंदोलन को कमजोर नहीं कर पाएगी क्योंकि देश किसानों के साथ है।

पूर्व सीएम(Akhilesh Yadav) ने आगे कहा, भाजपा सरकार में पेट्रोल-डीजल के साथ रसोई गैस के दाम भी बड़ी तेल कम्पनियों की मनमर्जी से जब तब बढ़ा दिए जाते हैं। अभी रसोई गैस के दामों में 50 रूपए की वृद्धि हो गई है। यह गरीब जनता पर एक और आर्थिक अत्याचार है। अपनी तिजोरी भरने में लगी सरकार को गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वालों की चिंता नहीं। जब भाजपा सरकार मंहगाई कम नहीं कर सकती तो कम से कम बढ़ाए तो नहीं।

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सपा सुप्रीमो(Akhilesh Yadav) ने याद दिलाया कि, जनता को अच्छे दिनों का सपना दिखाया गया, लोग अब उसकी व्यर्थता से परिचित होकर जागरूक हो गए हैं। मुख्यमंत्री जी के ठोको, राम नाम सत्य है जैसे जुमलों का जब कोई असर नहीं दिखाई दिया तो वह फिल्मी दुनिया की रंगीनी दिखाने में लग गए हैं। वैसे भी बहुरंगी बड़े मानसिक क्षितिज की उम्मीद रखने वाली फिल्म सिटी इण्डस्ट्री आज एकांगी और संकीर्ण सोच वाली सत्ता को स्वीकार्य नहीं हो सकती है। कल को यही भाजपाई फिल्म के विषय, भाषा, पहनावे एवं दृश्यों के फिल्मांकन पर भी अपनी पाबंदिया लगाने लगेंगे।

सच बात तो यह है कि भाजपा स्वयं अपने कामों और आचरण से रोज-ब-रोज अप्रासंगिक होती जा रही है। उसकी सोच और कार्यप्रणाली दोनों संकीर्ण है और समाज के हितों के विरोध में है। वह विकास और सामाजिक सौहार्द के बजाय नफरत की राजनीति करती है। भाजपा सरकार के अब दिन ही कितने रह गए है। फिर लम्बी-लम्बी बातें करने का क्या फायदा? भाजपा शायद यह समझती है कि वह अनन्त काल तक अपने षडयंत्र के जाल में फंसा सकती है?

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