लखनऊ : भ्रष्टाचार में लिप्त पुलिसकर्मियों पर महकमा गंभीर, डीजीपी बोले नहीं बख्शे जाएंगे दोषी
उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने व अन्य शिकायतों पर पुलिस महकमा गंभीर है।
उत्तर प्रदेश के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी का कहना है कि पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने व अन्य शिकायतों पर पुलिस महकमा गंभीर है। किसी भी दोषी पुलिसकर्मी को बख्शा नहीं जा रहा है, जांच के बाद सभी के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
एक ओर कोरोना काल में पुलिसकर्मियों को उनकी बेहतर भूमिका के लिए याद किया जाएगा। वहीं, इसी वर्ष खाकी पर कुछ ऐसे दाग भी लगे, जिसे पुलिस महकमा कभी याद नहीं करना चाहेगा। यह बात पुलिस विभाग के मामलों और आंकड़ों से ही स्पष्ट होती है।
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सरकार ने आठ आइपीएस अधिकारी निलंबित किए
भ्रष्टाचार के मामलों में वर्ष 2020 में आठ आइपीएस अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं। महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार को निलंबन के बाद भगोड़ा घोषित करार दिया गया है वहीं, भ्रष्टाचार के मामले में डीआइजी अरविंद सेन और डीआइजी दिनेश चंद्र दुबे भी निलंबित हो चुके हैं। इसके अलावा अन्य दो अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार मामलों की जांच चल रही है। कानपुर का बहुचर्चित बिकरू कांड भी इसी वर्ष हुआ, जिसमें पुलिसकर्मियों ने खुद ही मुखबिरी कर पूरे महकमे को शर्मसार कर दिया। एक जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर 2020 के बीच भ्रष्टाचार की शिकायतों पर पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 42 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें से चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ बर्खास्तगी की भी कार्रवाई की गई।
12 मामलों में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
वर्ष 2020 में पुलिस दुव्र्यवहार की शिकायतों में भी करीब दो गुने का इजाफा हुआ, जो मित्र पुलिस के दावे पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है। एक जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2019 के मध्य 106 दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुलिस दुव्र्यवहार के मामलों के तहत कार्रवाई हुई, जबकि एक जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर के मध्य 263 पुलिसकर्मियों को दोषी करार देते हुए उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है। इनमें 12 मामलों में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, जबकि एक आरोपित पुलिसकर्मी को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। भ्रष्टाचार के मामलों में इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही तक पर कार्रवाई डेढ़ गुना अधिक हुई है। वर्ष 2020 में 250 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई है जबकि बीते वर्ष 160 अराजपत्रित पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई थी। इसके अलावा पुलिस विवेचना में खेल करने के गंभीर आरोपों में इस वर्ष 1675 दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई गई है, जबकि बीते वर्ष 1156 दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई थी।
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