किसानों के आंदोलन से बैकफुट पर आई सरकार, 32 किसान यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ होगी बैठक
सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों के प्रदर्शन का आज छठा दिन है। हर रोज प्रदर्शन में किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है।
सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसानों के प्रदर्शन का आज छठा दिन है। हर रोज प्रदर्शन में किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार अब बैकफुट पर आ गई है। सरकार ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को (farmers union representatives) आज दोपहर तीन बजे बातचीत (talks) के लिए बुलाया है।
बातचीत (talks) के लिए पत्र भेजा
बता दें कि कृषि मंत्रालय की ओर से किसान संगठनों को सोमवार को बातचीत के लिए पत्र भेजा गया था, जो किसानों को मिल गया है। उन्हें अब तीन दिसंबर के बजाय एक दिसंबर यानी आज बातचीत (talks) के लिए आमंत्रित किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इससे पहले किसान संगठनों के नेताओं को 14 अक्टूबर और 13 नवंबर को बातचीत के लिए बुलाया गया था। अगली बैठक तीन दिसंबर को होनी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण और सर्दी के चलते ये बैठक जल्द बुला ली गई है। 1 दिसंबर को दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में बैठक होगी। इस बार भी पिछली बार 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को आमंत्रित किया गया है। 32 किसान यूनियन के प्रतिनिधियों (farmers union representatives) को पत्र लिखकर आज चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। हालांकि, कई अन्य किसान संगठनों में बैठक में न बुलाए जाने से रोष व्याप्त हुआ है।
इन 32 किसान यूनियन के प्रतिनिधियों को बातचीत (talks) के लिए बुलाया, देखें लिस्ट…
पिछली बातचीत (talks) में नहीं निकला कोई निष्कर्ष
आपको बता दें कि इससे पहले 13 नवंबर को हुई बैठक में कृषि कानून को लेकर किसानों की समस्या का कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसान यूनियन के प्रतिनिधियों (farmers union representatives) को तीन दिसंबर को दूसरे दौरे की बातचीत (talks) के लिए आमंत्रित किया था, ताकि नए कृषि कानूनों से किसानों की चिंताओं को दूर किया जा सके।
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दिल्ली की सीमा पर जुटे हजारों किसान
गौरतलब है कि पंजाब-हरियाणा समेत यूपी के हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले छह दिनों से डटे हुए हैं। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका प्रदर्शन लगातार जारी है। किसानों को आशंका है कि इन नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाएगा, जबकि सरकार का कहना है कि नए कृषि कानूनों से किसानों को अधिकार मिले हैं, जिससे उन्हें कई लाभ होंगे।
एक तरफ बुराड़ी में निरंकारी समागम ग्राउंड पर मौजूद किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है तो वहीं वहीं किसानों के प्रदर्शन को लेकर गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर पुलिस ने बैरिकेड्स और सिक्योरिटी बढ़ा दी है। यहां तक कि 27 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर हुए टकराव के मामले में दिल्ली पुलिस ने अज्ञात लोगों पर एफआईआर भी दर्ज कर ली है। दरअसल, रविवार को किसानों ने सरकार का यह प्रस्ताव मानने से इनकार कर दिया था कि किसान बुराड़ी पहुंचें और प्रदर्शन खत्म करें। इस पर किसान संगठनों ने तीन ऐलान रखीं।
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1- बुराड़ी ओपन जेल, वहां नहीं जाएंगे
किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि सरकार ने यह शर्त रखी थी कि हम हाईवे खाली कर बुराड़ी जाएं। उन्होंने कहा कि शर्त अपमानजनक है। हम बुराड़ी मैदान में नहीं जाएंगे, क्योंकि वह ओपन जेल है, जिसका सबूत भी है हमारे पास। उत्तराखंड के तेजिंदर सिंह विर्क की अगुआई में किसान दिल्ली के जंतर-मंतर जाना चाहते थे। दिल्ली के प्रशासन और पुलिस ने उनके साथ धोखा किया। उन्हें जंतर-मंतर न ले जाकर बुराड़ी पार्क में कैद कर दिया।
2. पांच एंट्री पॉइंट्स से करेंगे दिल्ली का घेराव
बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि हम ओपन जेल में जाने की बजाय सोनीपत, रोहतक के बहत्तर गढ़, जयपुर से दिल्ली हाईवे, मथुरा-आगरा से दिल्ली हाईवे, गाजियाबाद से आने वाला हाईवे जाम करेंगे और दिल्ली की घेराबंदी करेंगे। हम पांच एंट्री पॉइंट्स पर धरना देंगे। हमने रहने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली को घर जैसा बना रखा है। हम लंबे दौर की तैयारी करके आए हैं।
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3. हमारे मंच से स्पीच नहीं देगा कोई राजनीतिक दल
किसानों ने कहा कि हमने एक कमेटी बनाई है। हम इन्हीं पांचों पॉइंट्स पर धरना-प्रदर्शन करेंगे। किसी भी राजनीतिक दल को स्टेज पर बोलने की इजाजत नहीं है। कांग्रेस, आप या कोई भी राजनीतिक दल के लोग हमारे स्टेज पर स्पीकर के तौर पर नहीं बोलेंगे। इनके अलावा दूसरे संगठनों के जो संचालन कमेटी के तय नियमों को मानेंगे, उन्हें बोलने (talks) की इजाजत दी जाएगी।
बुराड़ी से अपने साथियों को बुलाएंगे वापस
इसके साथ ही किसानों ने यह भी कहा कि वे बुराड़ी में मौजूद अपने साथियों को वापस बुलाएंगे। बुराड़ी में किसानों का एक ग्रुप पहले से ही डेरा जमाए हुए है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि किसान बुराड़ी मैदान पर इकट्ठे हों। इसके बाद उनसे बात की जाएगी। किसान संगठन पहले ही कह चुके हैं कि वे दिल्ली घेरने आए हैं, न कि दिल्ली में घिर जाने के लिए।
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