…तो इसलिए रावण के पास थी राक्षसों जैसी शक्ति और ब्राह्मणों जैसा ज्ञान, वजह कर देगी हैरान

रावण का नाम सुनते ही हमारे मन में एक क्रूर राजा अहंकारी व्यक्ति एक असुर और सबको तुच्छ समझने वाले घमंडी इंसान की छवि उभरती है लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो जानते हैं कि रावण सर्व शक्तिशाली एक कुशल राजा अत्यंत बुद्धिजीवी और अपने परिवार की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकने वाला भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था।

रावण(Ravana) का नाम सुनते ही हमारे मन में एक क्रूर राजा अहंकारी व्यक्ति एक असुर और सबको तुच्छ समझने वाले घमंडी इंसान की छवि उभरती है लेकिन बहुत ही कम लोग हैं जो जानते हैं कि रावण सर्व शक्तिशाली एक कुशल राजा अत्यंत बुद्धिजीवी और अपने परिवार की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकने वाला भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था।

रावण ऋषि विश्रवा का पुत्र थे जो कि विद्वान ब्राह्मण थे जब उसकी मां केकसी जो ऋषि विश्रवा की दूसरी पत्नी थी वह एक क्षत्रिय राशि की थी जिनको राक्षसी के नाम से भी जाना जाता है. यही कारण था कि बचपन से ही रावण के पास ब्राह्मण जैसी बुद्धि और राक्षसों जैसी शक्ति विद्यमान थी।

श्रीलंका के प्राचीन इतिहास में सबसे कुशल और सबसे बुद्धिमान राजा रावण ही थे ये बाते इतिहास में लिखित हैं रावण के ही शासनकाल में श्रीलंका की प्रजा सबसे कुशल और समृद्ध रही थी।

आपको जानकर हैरानी होगी रावण की पूजा श्रीलंका में ही नहीं बल्कि भारत के दक्षिण राज्यों में भी होती है।

खानपुर का कैलाश मंदिर वर्ष में दशहरे के दिन एक बार खुलता है जहां पर रावण की पूजा की जाती है।

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रावण को संगीत का शौक था। वो संगीत जानते भी थे। उसे वीणा बजाना बहुत पसंद करते थे ।

रावण परम ज्ञानी था। उसने 6 शास्त्रों की रचना की थी। रावण ने योग, धर्मा, कामा, अर्थ, मोक्ष और नाव्या शास्त्र लिखे।

रावण शिव का परम भक्त, यम और सूर्य तक को अपना प्रताप झेलने के लिए विवश कर देने वाला, प्रकांड विद्वान था ।

रावण सिर्फ एक योद्धा नहीं था उन्होंने बहुत सारी कवितायें और श्लोक की रचनाये भी की थी शिव तांडव भी इन्हीं रचना में से एक है।

रावण को संगीत का भी बहुत ज्ञान और शौक था रूद्र विणा बजाने में रावण से कोई नहीं जीत सकता था. रावण जब भी परेशान या चिंतित होता तो रूद्र विणा बजाने लग जाता था।

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