कंगना रनौत को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत सुनाया अपना फैसला कहा …
एक्ट्रेस कंगना रनौत के बंगले पर की गयी तोड़ फोड़ मामलें में अपना फैसला सुनाया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना के बंगले पर की गई बीएमसी की कार्रवाई को गलत ठहराया है।
एक्ट्रेस कंगना रनौत के बंगले पर की गयी तोड़ फोड़ मामलें में अपना फैसला सुनाया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कंगना के बंगले पर की गई बीएमसी की कार्रवाई को गलत ठहराया है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह कार्रवाई याचिकाकर्ता को कानूनी मदद लेने से रोकने की कोशिश थी। हम किसी भी नागरिक के खिलाफ ‘मसल पावर’ का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दे सकते।
अदालत ने अवैध निर्माण के खिलाफ जारी किए गए बीएमसी के नोटिस को भी खारिज कर दिया। साथ ही कंगना को सार्वजनिक बयानों में संयम बरतने की सलाह दी है। कंगना ने बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
इस पर जस्टिस एसजे कैथावाला और आरआई छागला की बेंच ने फैसला सुनाया है। आपको बता दें कि बीएमसी ने 9 सितंबर को कंगना के बंगले में बने ऑफिस के कई हिस्सों को अवैध बताते हुए तोड़ दिया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस केस में माना है कि बीएमसी की नीयत में खोट था। साथ ही इसमें महाराष्ट्र सरकार का भी कहीं ना कहीं हाथ था। कंगना के वकील रिजवान सिद्धीकी ने फैसला आने के बाद इस बारे में बात की।
कोर्ट ने माना कि ये सभी चीजें कंगना को धमकाने के मकसद से की गईं और BMC की मंशा ठीक नहीं थी। नोटिस और की गई तोड़फोड़ असल में कंगना को धमकाने के लिए थी। कोर्ट ने कहा कि कंगना को हर्जाना दिए जाने के लिए दफ्तर में हुई तोड़फोड़ का मूल्यांकन किया जाए। मूल्यांकन करने वाला व्यक्ति कंगना और बीएमसी दोनों को सुनेगा।
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जो भी हर्जाना होगा वो बीएमसी द्वारा भरा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि कंगना बीएमसी से दफ्तर को दोबारा बनाने के लिए आवेदन करेंगी। तीन महीने के अंदर आर्किटेक्ट को डैमेज का मूल्यांकन करना होगा। दफ्तर का बाकी हिस्सा जिसे बीएमसी अनधिकृत बता रही है उसे नियमित किया जाए। कोर्ट का ये फैसला दफ्तर में हुई तोड़फोड़ के बाद करीबन 2 महीने तक चली बहसों के बाद सुनाया गया है।
जहां तक कंगना द्वारा दिए गए आपत्तिजनक बयानों और पोस्ट का सवाल है तो कोर्ट ने कहा कि उन्हें सोच समझ कर बोलना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि विषय दफ्तर को तोड़ा जाना है न कि ट्वीट में कही गई बातें। वहां पर बहुत सा काम रुका पड़ा है. कोर्ट ने कहा कि वह कंगना द्वारा दिए गए बयान हालांकि गैरजिम्मेदाराना हैं लेकिन बेहतर तरीका यही है कि ऐसे बयानों को नजरअंदाज किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति विशेष कुछ भी मूर्खतापूर्ण बात कहे. राज्य द्वारा समाज पर बाहुबल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने तस्वीरों और अन्य सामग्रियों का विश्लेषण किया जिनमें संजय राउत धमकी दे रहे हैं। सामना में छपी सामग्री और न्यूज चैनल पर चलाई गईं वीडियो क्लिप। इमारत को 40 प्रतिशत तक तोड़ा जाना और सामना द्वारा छापी गई हेडलाइन ‘उखाड़ दिया’ पर गौर किया। कोर्ट ने बीएमसी को जमकर फटकार लगाई है।
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