चाणक्य शास्त्र के अनुसार कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता, बस इंसान को ऐसे केन्द्रित करना चाहिए ध्यान

“मेहनत इतनी ख़ामोशी से करो कि कामयाबी शोर मचा दे।”यह पंक्तियां उन लोगों पर एकदम फिट बैठती हैं, जिन्होंने अपने काम को बड़ी खामोशी व खूबसूरती के साथ अंजाम दिया और जब उन्हें सफलता मिली तो उसे दुनिया ने सराहा।

जीवन के अनुभव भी विचित्र ही होते हैं। पाया तो यही है कि जो न तो मेहनत करते हैं, न बुद्धि पर जोर डालते हैं और न ही किसी भी वस्तु या विचार को गंभीरता से लेते हैं, बस बजते ही रहते हैं, वे ही खूब चलते हैं। जो चलता है वही प्रचलित होता है।

चाणक्य के अनुसार कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है. जो व्यक्ति को कार्य को छोटा या बड़ा समझता है वह कभी सफलता प्राप्त नहीं करता है. किसी भी महापुरूष को देखें तो पाएंगे इन लोगों ने अपने हर कार्य को बहुत ही सुंदर तरीके से किया. चाणक्य के मानें तो प्रत्येक कार्य में व्यक्ति की प्रतिभा और उसकी कुशलता दिखनी चाहिए. जो ऐसा नहीं कर पाते हैं वे सफलता से वचिंत रहते हैं.

चाणक्य के अनुसार सफल होने के लिए व्यक्ति को कभी गलत मार्ग का चयन नहीं करना चाहिए. परिश्रम और सही मार्ग पर चलकर ही सफलता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए. सही मार्ग पर चल कर प्राप्त की गई सफलता अधिक दिनों तक टिकी रहती है.

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