लखनऊ : स्वास्थ्य मंत्रालय ने WHO के एफटीसी की इस धारा के तहत सरकारी कर्मचारियों को दिए ये निर्देश

तंबाकू उद्योग और जनस्वास्थ्य के बीच एक ऐसा टकराव है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता है।

तंबाकू उद्योग और जनस्वास्थ्य के बीच एक ऐसा टकराव है जिसे खत्म नहीं किया जा सकता है। तंबाकू उद्योग अपनी भारी धन-संपदा, नीतियों को प्रभावित कर सकने की ताकत और हर संभव छेड़-छाड़ तथा जनस्वास्थ्य के मामले में हस्तक्षेप करने की अपनी शक्ति का उपयोग करता रहता है।

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भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल में एक कोड ऑफ कंडक्ट अपनाया है जो अधिकारियों और कर्मचारियों को तंबाकू उद्योग के साथ मिलने-जुलने और मिलकर काम करने पर रोक लगाता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) की धारा 5.3 के क्रम में है जो तंबाकू उद्योग के व्यावसायिक हितों से जन स्वास्थ्य नीतियों की रक्षा की अपील करता है। दिशा-निर्देशों के अनुसार उद्योग के साथ कोई चर्चा भी नहीं हो सकती है बशर्ते उद्योग और इसके उत्पादों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए बेहद आवश्यक हो।

एफसीटीसी की धारा 5.3 के अनुसार, “तंबाकू नियंत्रण से संबंधित अपनी जन स्वास्थ्य नीतियां बनाते और उन्हें लागू करते हुए भिन्न पक्ष इन नीतियों को तंबाकू उद्योग के व्यावसायिक और अन्य निहित हितों की राष्ट्रीय कानून के अनुपालन में रक्षा करने की कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।” धारा 5.3 को लागू करने के लिए दिशा निर्देशों में एक सिफारिश यह है कि सरकारी पक्षों को ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे तंबाकू उद्योग के साथ चर्चा सीमित हो और “तंबाकू उद्योग के साथ चर्चा तभी हो जब यह बिल्कुल आवश्यक हो और तंबाकू उद्योग तथा इसके उत्पादों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए बेहद जरूरी हो।”

स्वास्थ्य नीति में तंबाकू उद्योग का हस्तक्षेप संभवतः सबसे प्रभावी उपाय है जो सरकारें तंबाकू नियंत्रण गतिविधियों के लिए अपना सकती हैं और इस तरह तंबाकू से होने वाली महामारी के कारण होने वाली मौतों तथा बीमारियों को नियंत्रित कर सकती हैं। भारत का सरकारी कानून, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधनियम (कोटपा) कुछ क्षेत्रों में प्रभावी है तथा अभी भी कई पहलू हैं जिन्हें संशोधित किए जाने और मजबूत करने की जरूरत है। ऐसे संशोधन हमारी वैश्विक प्रतिस्पर्धाओं से तालमेल में रहेंगे और यह तंबाकू कंट्रोल पर फ्रेमवर्क सम्मेलन (एफसीटीसी) के तहत होगा तथा भारत की आबादी को तंबाकू के उपयोग से तालमेल में होगा और भारत की आबादी को तंबाकू उपयोग के खतरों से ज्यादा प्रभावी ढंग से बचा सकेगी।

भारत में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या दुनिया भर में दूसरे नंबर पर (268 मिलियन या भारत की पूरी वयस्क आबादी का 28.6%) है – इनमें से कम से कम 12 लाख हर साल तंबाकू और तंबाकू से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं। तंबाकू के मद में कुल प्रत्यक्ष और परोक्ष बीमारियों के मद में जो कुछ राशि हो सकती है वह 2011 में 1.04 लाख करोड़ रुपए ($17 बिलियन) भारत का जीडीपी 2011 में या भारत की जीडीपी का 1.16 प्रतिशत।

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