घाटे के कारण देश की पहली निजी ट्रेन तेजस एक्सप्रेस बंद

सरकार की रेलवे को जबरन निजीकरण करने की कोशिशों को यह एक करारा झटका माना जा सकता है। यात्री नहीं मिलने के कारण देश की पहली निजी ट्रेन तेजस एक्सप्रेस को बंद किया जा रहा है। 

सरकार की रेलवे को जबरन निजीकरण करने की कोशिशों को यह एक करारा झटका माना जा सकता है। यात्री नहीं मिलने के कारण देश की पहली निजी ट्रेन तेजस एक्सप्रेस को बंद किया जा रहा है। 

पर्याप्त यात्रियों के नहीं मिलने के कारण इसे चलाने वाली कंपनी ट्रेन का परिचालन बंद कर रही है। आधिकारिक सूचना के अनुसार लखनऊ से नई दिल्ली के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस 23 नवंबर से और अहमदाबाद से मुंबई के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस का परिचालन 24 नवंबर से बंद होगा।

ट्रेन को चलाने में आमदनी कम है

सरकारी कंपनी इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड (IRCTC) देश की इस पहली प्राइवेट ट्रेन को चलाती है।
यह रेल मंत्रालय का एक सार्वजनिक उपक्रम है। आईआरसीटीसी का कहना है कि इस ट्रेन को चलाने में आमदनी कम है, जबकि खर्चा ज्यादा है।

कहने का तात्पर्य यह है कि एक सामान्य व्यक्ति रेल यात्रा के दौरान बेवजह खुद पर थोपी जाने वाली सुविधाएं लेने की जगह अपनी पूंजी बचत निर्माण को अधिक महत्व देना चाहता है।

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रेलवे का निजीकरण वह लेमनचूस है जिसे सरकार जबरन सामान्य रेल यात्रियों के मुहं मे ठूंसना चाहती है।  सनद रहे, कि IRCTC ने ढेर सारा काजल लगाए जबरन खीसें निपोरती मनमोहक सुंदरियों को ट्रेन के दरवाजे पर खड़ा करके लखनऊ से दिल्ली के लिए निजी क्षेत्र की तेजस एक्सप्रेस 4 अक्टूबर, 2019 को शुरू की थी. इसके बाद अहमदाबाद से मुंबई के लिए इस साल 19 जनवरी को अपनी यात्रा शुरू की थी।

तेजस ट्रेन के परिचालन में घाटे व बाद में उसे बंद करने के फरमान

कोविड -19 के प्रकोप के कारण लगभग सात महीने तक निलंबित रहने के बाद, तेजस एक्सप्रेस ने 17 अक्टूबर से यात्रा फिर से शुरू की थी. निजी क्षेत्र की तेजस ट्रेन के परिचालन में घाटे व बाद में उसे बंद करने के फरमान के बाद यह तय हो चुका है कि रेलवे का निजीकरण के लिए बड़े बड़े दावे व लोकलुभावन परिकल्पना और आम जनता को मिलने वाली सुविधाओं का झांसा देकर सिर्फ माहौल ही पैदा किया जा सकता है, लेकिन उसे सफलतापूर्वक क्रियान्वयन करना असंभव है।  बेवजह व जबरन थोपी जाने वाली सुविधाओं के नाम पर जनता का आर्थिक शोषण ही रेलवे का निजीकरण का सारभूत व यथार्थ परक सच्चाई है।

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