गोवर्धन पूजा आज, जानें शुभ मुहूर्त में कैसे करें श्रीकृष्ण को खुश

दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की जाती है। यह प्रकृति की पूजा है।  जिसका आरम्भ श्रीकृष्ण ने किया था।  इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है

दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की जाती है। यह प्रकृति की पूजा है।  जिसका आरम्भ श्रीकृष्ण ने किया था।  इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है।  यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुई थी और धीरे-धीरे पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हुई।  इस बार अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व 15 नवंबर यानी आज है। 

अन्नकूट की पूजा किस प्रकार की जाती है ?

वेदों के अनुसार, इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है. साथ में गायों का श्रृंगार करके उनकी आरती की जाती है और उन्हें फल मिठाइयाँ खिलाई जाती हैं। गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है। इसके बाद उसकी पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से उपासना की जाती है।

इस दिन एक ही रसोई से घर के हर सदस्य का भोजन बनता है। भोजन में विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. इसमें प्याज लहसुन का प्रयोग न करें। भोजन बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाएं। इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें. घर में खूब समृद्धि आएगी।

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गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त-

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 15 नवंबर 2020 को सुबह 10 बजकर 36 मिनट से
प्रतिपदा तिथि समाप्‍त- 16 नवंबर 2020 को सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक
गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त- 15 नवंबर 2020 को दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 05 बजकर 27 मिनट तक
कुल अवधि- 02 घंटे 09 मिनट

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गोवर्धन पूजा की विधि-

आज गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।’

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा-

मान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। श्रीकृष्‍ण ने इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं।

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