दूसरों के घरों में जाकर बर्तन धोए और फिर ऐसे बदल ली अपनी तक़दीर और बन गयी IPS अधिकारी

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की रहने वाली हैं ये आईपीएस अधिकारी। नाम है इनका इलमा अफरोज। इन्होंने वर्ष 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में 217वीं रैंक पाई थी। मुरादाबाद के कुंदरकी गांव की रहने वालीं इलमा के संघर्ष की कहानी किसी को भी प्रेरणा देने वाली है।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद की रहने वाली हैं ये आईपीएस अधिकारी। नाम है इनका इलमा अफरोज। इन्होंने वर्ष 2017 में यूपीएससी की परीक्षा में 217वीं रैंक पाई थी। मुरादाबाद के कुंदरकी गांव की रहने वालीं इलमा के संघर्ष की कहानी किसी को भी प्रेरणा देने वाली है।

महज 14 साल की उम्र में ही पिता का साया सिर से उठ जाने के बाद मां ने घर की जिम्मेदारी संभाली थी। बेटी पढ़ना चाहती थी, लेकिन समाज कहता था कि बेटी को पढ़ा-लिखा कर क्या करोगी।

मां ने कभी किसी की बात की परवाह ही नहीं की

मां ऐसी थी, जिन्होंने कभी किसी की नहीं सुनी। बस अपनी बेटी को पढ़ाती गयीं। इलमा ने भी जमकर मेहनत की। छात्रवृत्ति ले ली। पूरी उच्च शिक्षा उन्होंने छात्रवृत्ति से ही हासिल की।सेंट स्टीफेंस में उन्हें पढ़ाई करने का अवसर मिला। इलमा बस पढ़ती रहीं। दिल्ली उनकी मां ने भेजा था, तो लोग कहते थे कि बेटी हाथ से निकल जाएगी, लेकिन मां ने कभी किसी की बात की परवाह ही नहीं की और बेटी हमेशा अपने जुनून में आगे बढ़ती गईं।

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मास्टर्स करने के लिए ऑक्सफोर्ड जाने का भी अवसर मिल गया। यूके में अपनी पढ़ाई के अलावा बाकी खर्चे उन्हें निकालने थे। इसके लिए दूसरे के घरों में जाकर उन्होंने बर्तन भी धोए। बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया और अपना मास्टर्स उन्होंने पूरा किया।न्यूयॉर्क भी वे गई थीं। वहां एक बढ़िया जॉब ऑफर उन्हें मिला था, लेकिन वे अपने देश लौट आईं।

इन समस्याओं को सुलझाने में अपना योगदान दे सकती हैं

यहां उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। उन्होंने देखा कि किस तरीके से यहां समस्याओं का अंबार लगा है। उन्हें लगा कि यूपीएससी के जरिए ही वे इन समस्याओं को सुलझाने में अपना योगदान दे सकती हैं।

आखिरकार 26 साल की उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद जब उन्होंने विदेश सेवा को न चुनकर आईपीएस को चुना तो बोर्ड ने भी उनसे यह सवाल किया कि आखिर विदेश सेवा वे क्यों नहीं लेना चाहतीं। इस पर उन्होंने यही कहा था कि अपनी जड़ों को मुझे सींचना है सर। अपने देश के लिए ही मुझे काम करना है। इलमा आज इस देश के करोड़ों नौजवानों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं।

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