गोवर्धन पूजा : आखिर भगवान को क्यों लगाया जाता है छप्पन भोग का प्रसाद
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पर्व या अन्नकूट त्योहार मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय पूजा की जाती है और भगवान को 56 भोग लगाया जाता है।
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पर्व या अन्नकूट त्योहार मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय पूजा की जाती है और भगवान को 56 भोग लगाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन इंद्र के घमंड को चूर किया था। यह उत्सव कार्तिक माह की प्रतिपदा को मनाया जाता है।
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गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण को छप्पन प्रकार के भोग लगाने की भी परंपरा है। आइए जानते हैं आखिर भगवान को क्यों लगाया जाता है छप्पन भोग का प्रसाद…
पुराणों के अनुसार, गोवर्धन पूजा कार्तिक माह की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने इंद्र के कोप से बृजवासियों को बचाने के लिए अपनी छोटी ऊंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। करीब सात दिन तक इंद्र गोकुल में बारिश करते रहे और भगवान कृष्ण ने पर्वत उठाकर पूरे गांव की रक्षा की थी।
ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्याम सुंदर को एक दिन में आठ बार भोग लगाया जाता है। भगवान कृष्ण ने गिरिराज को अपनी छोटी ऊंगली पर सात दिनों तक धारण किया था। इस दौरान उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। बाद में बृजवासियों ने सात दिन और रोजाना आठ बार भोग के अनुसार, उन्हें छप्पन भोग का प्रसाद लगाया। तब से यह प्रथा चली आ रही है
गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है। इस दिन घरों में कई तरह के भोजन बनाए जाते हैं, जिसका भोग भगवान श्री कृष्ण को लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ठंड के मौसम में आने वाली सब्जियों को इस विधि द्वारा भगवान को अर्पित किया जाता है।
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