Bhai Dooj 2020: जानिए प्रभु कृष्ण और सुभद्रा से जुड़ी ये रोचक कथा

प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैयादूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं।

प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भैयादूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित कर अथवा सायं उनके घर जाकर उन्हें तिलक करती हैं और भोजन कराती हैं। इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं, इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है।

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भाई दूज का त्योहार कैसे मनाएं?

भाइया दूज के दिन भाई लोग प्रात:काल चंद्रमा का दर्शन करें। इसके बाद यमुना के जल से नहाए या ताजे जल से स्नान करें। इसके बाद अपनी बहन के घर जाएं वहां पर बहन के हाथों बना हुआ भोजन खाएं। बहनें अपने भाईयों को भोजन कराएं उनका तिलक करके उनकी आरती करें। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार दें।

भाईदूज से जुड़ी पौराणिक कथा-

कई ऐसी पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं, जिन्हें भाईदूज की शुरुआत का कारण मानते हैं। जिनमें से एक भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जब वह राक्षस नरकासुर को मारने के बाद घर लौटे तो उनका स्वागत उनकी बहन (सुभद्रा) ने फूल, फल और मिठाई से किया।

सुभद्रा ने दीया जलाकर और भगवान श्रीकृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर एक हजार से ज्यादा सालों तक भाई के जीवित रहने की कामना की। कहते हैं कि इसके बाद ही भाईदूज मनाने की परपंरा बन गई।

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