धनतेरस पर धनवंतरी और यमदेवता की पूजा का है विधान, जानिए ये बातें…
धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस बार त्रयोदशी 12 नवंबर रात 09:30 बजे से अगले दिन 13 नवंबर को शाम 05:59 तक रहेगी।
धनतेरस का त्योहार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस बार त्रयोदशी 12 नवंबर रात 09:30 बजे से अगले दिन 13 नवंबर को शाम 05:59 तक रहेगी।
इस दिन की मान्यता है कि इस दिन कोई किसी को उधार नहीं देता है। इसलिए सभी नई वस्तुएं लाते हैं। इस दिन लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के साथ-साथ यमराज की भी पूजा की जाती है। पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव हो तो कोई बर्तन खरीदें। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में सन्तोष रूपी धन का वास होता है। सन्तोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास सन्तोष है वह स्वस्थ है, सुखी है और वही सबसे धनवान है।
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धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी इस दिन का विशेष महत्त्व है। शास्त्रों में इस बारे में कहा गया है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती।
मान्यता है कि यमराज और देवी यमुना दोनों ही सूर्य की संतानें होने से आपस में भाई-बहन हैं , इसलिए इस दिन यमुना में स्नान भी किया जाता है। इसके अलावा धन के देवता कुबैर जी की भी इस दिन पूजा की जाती है। खासकर व्यापरी वर्ग अपने संस्थानों में इस दिन खास पूजा करते हैं। कहते हैं कि इस दिन पूजा अर्चना से चल अचल संपत्ति में कई गुना वृद्धि होती है।
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