गोवर्धन पूजा 2020 : जानिए इस दिन क्यों की जाती है गौमाता की पूजा

दीपावली के दूसरे दिन उत्तर और माध्य भारत में गोवर्धन पूजा का प्रचलन है। इस दिन को अन्नकूट महोत्सव भी कहते हैं। इस दिन को ग्रमीण क्षेत्रों में पड़वा कहते हैं।

दीपावली के दूसरे दिन उत्तर और माध्य भारत में गोवर्धन पूजा का प्रचलन है। इस दिन को अन्नकूट महोत्सव भी कहते हैं। इस दिन को ग्रमीण क्षेत्रों में पड़वा कहते हैं। इस दिन को द्यूतक्रीड़ा दिवस भी कहते हैं। इस पर्व को देश के अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न तरह से मनाते हैं। गोवर्धन को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है। राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाकर अर्पित किए जाते हैं तो वहीं, दक्षिणी भारत के हिस्सों में इस दिन राजा महाबली की पूजा का विधान है।

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हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाए जाने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि यदि आज के दिन कोई दुखी है तो सालभर वह दुखी रहेगा, इसलिए गोवर्धन यानी अन्नकूट पूजा को पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाना चाहिए। इस दिन जो पवित्र भाव से भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण का ध्यान पूजन करता है वह सालभर के लिए सुखी और समृद्ध बना रहता है।

इसलिए होती है गौमाता की पूजा
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। कई जगह लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। शास्त्रों के अनुसार गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। इसकी वजह है जैसे देवी लक्ष्मी सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं, उसी तरह गौमाता भी हमें स्वास्थ्य रूपी धन देती हैं। इस कारण लोग गौमाता के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए गोर्वधन पूजा में प्रतीक स्वरूप गाय की पूजा करते हैं। इस दिन राजा बलि, अन्नकूट, मार्गपाली आदि उत्सव भी मनाएं जाते हैं।

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