जानिए क्या है गोवर्धन पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन घर में किसी जगह ज्यादातर आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत, गाय, ग्वालों आदि की आकृति बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है।

कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा गोवर्धन पूजा दिवाली के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन घर में किसी जगह ज्यादातर आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत, गाय, ग्वालों आदि की आकृति बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही परिक्रमा कर छप्पन भोग का प्रसाद बांटा जाता है।

गोवर्धन पूजा करने के पीछे मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण देवराज इंद्र का अभिमान चूर-चूर करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की देवराज इंद्र से रक्षा की थी।

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गोवर्धन पूजा की तिथि प्रारंभ और समाप्त
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर 2020 सुबह 10:36 बजे से।
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 16 नवंबर 2020, सुबह 07:06 बजे।

पूजा विधि और महत्व
इस त्योहार पर सभी घरों के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है। इसके अलावा गायों और ग्वालों की मूर्तिया बनाई जाती है। इसके बाद गोबर से बने गोवर्धन पर्वत को फल और फूल से विशेष प्रकार से सजाया और संवारा जाता है। पूजा में भगवान कृष्ण को 56 तरह के भोग लगाए जाते हैं। पूजा में परिवार के सभी सदस्य गोवर्धन की पूजा और परिक्रमा करते हैं। ऐसी मान्यता है गोवर्धन पूजा से व्यक्ति को लंबी उम्र और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

बता दें, इस दिन भगवान गोवर्धन को 56 भोग लगाने की परंपरा भी है।

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