धनतेरस के दिन क्यों जलाते हैं यम का दीपक? जानिए…

हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हमारे देश में सर्वाधिक धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहार दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है।

हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व बहुत ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हमारे देश में सर्वाधिक धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहार दीपावली का प्रारम्भ धनतेरस से हो जाता है। धनतेरस छोटी दीवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन कोई भी समान लेना बहुत ही शुभ माना जाता है।

धनतेरस पर नए बर्तन और नया सामान खरीदने की विशेष परंपरा हैं इस दिन धनवंतरी भगवान के साथ माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती हैं इस दिन यम के नाम का दीपक भी जलाया जाता हैं वैसे तो नरकचतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाते हैं मगर त्रयोदशी के दिन भी यम का दीपक जलाने का महत्व होता हैं।

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शास्त्रों में इस बारे में कहा गया है कि जिन परिवारों में धनतेरस के दिन यमराज के निमित्त दीपदान किया जाता है, वहां अकाल मृत्यु नहीं होती। घरों में दीपावली की सजावट भी आज ही से प्रारम्भ हो जाती है। इस दिन घरों को स्वच्छ कर, लीप—पोतकर, चौक, रंगोली बना सायंकाल के समय दीपक जलाकर लक्ष्मी जी का आह्वान किया जाता है। इस दिन पुराने बर्तनों को बदलना व नए बर्तन खरीदना शुभ माना गया है। इस दिन चांदी के बर्तन खरीदने से तो अत्यधिक पुण्य लाभ होता है। इस दिन कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, कुआं, बावली, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाना चाहिए।

इस दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। इस दीप को यमदीवा अर्थात यमराज का दीपक कहा जाता है। रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाती हैं। दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए। जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर स्त्रियां यम का पूजन करती हैं। चूंकि यह दीपक मृत्यु के नियन्त्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है, अत: दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें ही, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है।

धनतेरस के दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए यमुना स्नान भी किया जाता है अथवा यदि यमुना स्नान सम्भव न हो तो, स्नान करते समय यमुना जी का स्मरण मात्र कर लेने से भी यमराज प्रसन्न होते हैं, क्योंकि हिन्दु धर्म की ऐसी मान्यता है कि यमराज और देवी यमुना दोनों ही सूर्य की सन्तानें होने से आपस में भाई-बहिन हैं और दोनों में बड़ा प्रेम है। इसलिए यमराज, यमुना का स्नान करके दीपदान करने वालों से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं और उन्हें अकाल मृत्यु के दोष से मुक्त कर देते है।

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