गोरखपुर: अधिकारी की अनदेखी करने के बाद पुलिस ने पीड़ित महिलाओं समेत नाबालिग लड़कियों को थाने पर लाकर पीटा

गोरखपुर सीएम के शहर में हैरान करने वाला मामला सामने आ रहा है। जहां पर दरोगा अपने अधिकारी की भी नहीं सुन रहे हैं।

गोरखपुर सीएम के शहर में हैरान करने वाला मामला सामने आ रहा है। जहां पर दरोगा अपने अधिकारी की भी नहीं सुन रहे हैं। गोरखपुर एसएसपी का सख्त आदेश है कि जमीन के मामले में कोई भी पुलिसकर्मी हस्तक्षेप नहीं करेगा ऐसे में यह सवाल उठना भी लाजमी है कि क्या वजह थी कि दरोगा साहब को अपने अधिकारी के आदेश की भी अनदेखी करनी पड़ी।

यह पूरा मामला गोरखनाथ थाने का है। जो कि गोरखनाथ मंदिर से महज कुछ कदमों की दूरी पर स्थित है। यह गोरखनाथ मंदिर वही है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आवास भी है। जहां पर फरियादी न्याय की उम्मीद के साथ अपनी फरियाद लेकर जाते हैं। अब पूरा मामला आपको बताते हैं।

गोरखनाथ थाने पर जमीन के विवाद को लेकर पीड़ित परिवार वालों को बुरी तरह से मार-पीट कर थाने में बंद कर दिया गया।

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पीड़ित महिला का कहना है कि 2017 में विनोद सिंह ने हम लोगों से जमीन ली थी लेकिन विनोद सिंह ने उस जमीन को 2020 में मुन्ना सिंह को बेच दी। मुन्ना सिंह घर जाकर बताता है कि हमने यह जमीन खरीद ली है। घर वालो ने कहा कि ठीक है अगर जमीन खरीद लिया है तो कोई दिक्कत नहीं है जितनी जमीन हो उतनी आप अपनी नाप कर ले लो। मुन्ना सिंह वापस वहां से चला जाता है। 6 महीने बाद मुन्ना सिंह फिर महिलाओं के घर पहुंच कर उनके घर पर बुलडोजर चलवा देता है।

घरवालों का कहना है कि जिसकी सूचना हमलोगों ने पुलिस को दी। मौके पर पहुँची पुलिस सुनवाई करने के बजाय उल्टे हमलोगों को ही थाने पर उठा लाई। जिसमें 2 पुरुष, 4 महिलाओं समेत 2 नाबालिग लड़कियां भी शामिल थी। पुलिस का मन जब इससे भी नहीं भरा तो पुलिस ने पुरुष के साथ-साथ महिला और नाबालिग लड़कियों को भी बुरी तरह से थाने पर मारा पीटा और 24 घंटे थाने पर ही बैठा कर रखा। कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पुलिस ने तब जाकर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को थाने से छोड़ा।

दूसरी तरफ महिलाओं का यह भी कहना है कि मुन्ना सिंह और उसके आदमी घर पर पहुंचकर वहां पर मौजूद पुरुषों को भी मारा पीटा वहीं मीडिया के पूछे जाने पर कि क्या आपने इसकी शिकायत थाने पर की थी। इस पर पीड़ित महिला ने कहा कि थाने पर हमारी नहीं सुनी जा रही है तो थाने पर शिकायत करने का कोई मतलब ही नहीं बनता है।

पीड़ित महिलाओं की सुनवाई थाने पर नहीं होने पर महिलाओं ने मीडिया की शरण लेना ही उचित समझा और आप बीती मीडिया को बता डाली अगर महिलाओं की बात सही माने तो अब सवाल यह भी उठता है कि जनता की सेवा के लिए बनी पुलिस अगर जनता को ही पीड़ित करेगी तो फिर लाचार और मजबूर जनता का क्या होगा? सवाल तो यह भी उठता है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी कि गोरखनाथ थाने पर मौजूद एसओ रामाज्ञा सिंह ने अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझा और अपने अधिकारियों के आदेश की भी अनदेखी कर दी।

Report :- अंकित श्रीवास्तव 

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