दिवाली पर पटाखों के बैन को RSS ने बताया गलत, कहा…
दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नाराजगी जताई है। कहा कि पर्यावरण और लोगों का स्वास्थ्य सर्वोच्च है, लेकिन बिना किसी वैज्ञानिक आधार के प्रतिबंध अनुचित है
दिल्ली समेत कई राज्यों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नाराजगी जताई है. कहा कि पर्यावरण और लोगों का स्वास्थ्य सर्वोच्च है, लेकिन बिना किसी वैज्ञानिक आधार के प्रतिबंध अनुचित है. इससे धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंच रहीं है. साथ ही पटाखा उद्योग से जुड़े लोगों के रोजगार का मुद्दा उठाया है.
पटाखों पर प्रतिबंध पूरी तरह अनुचित
संघ के आनुषंगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्वनी महाजन ने कहा कि पिछले कुछ समय से बिना किसी तथ्यात्मक जानकारी के सरकारों द्वारा दीपावली के अवसर पर सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध जैसी कार्रवाई की जाती रही है, जो सर्वथा अनुचित है. समझना होगा कि पटाखों के कारण अभी तक जो प्रदूषण होता था, वह अधिकांश गैरकानूनी रूप से चीन से आयातित पटाखों के कारण होता था.
ग्रीन पटाखे 30 फीसद कम प्रदूषण करते हैं
चीनी पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर मिलाए जाने के कारण प्रदूषण होता रहा है, वहीं देश में बन रहे ग्रीन (प्रदूषण रहित) पटाखों में पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं मिलाया जाता और अन्य प्रदूषक तत्वों जैसे एल्युमीनियम, लीथियम, आर्सेनिक व पारा आदि को भी न्यूनतम कर दिया गया है. ये पटाखे वैज्ञानिक एवं औद्योगिक शोध परिषद-नीरी द्वारा प्रमाणित हैं और न्यूनतम 30 फीसद कम प्रदूषण करते हैं. जबकि सरकार ने चीनी पटाखों पर प्रभावी प्रतिबंध लगाया हुआ है. ऐसे में दीपावली पर सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लगाना सर्वथा अनुचित है.
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खेद का विषय है कि पंजाब, हरियाणा और दिल्ली समेत देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारी एजेंसियां पराली जलाने की समस्या का समाधान नहीं कर पाई है, जिससे राजधानी और आस पास के क्षेत्रों में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि उच्चतर न्यायालय ने भी अक्टूबर 2018 में दिए अपने आदेश में दीपावली के अवसर पर पटाखे जलाने की परंपरा और पटाखा उत्पादन में लगे लाखों लोगों की जीविका के मद्देनजर दीपावली के अवसर पर दो घंटे पटाखे चलाने की अनुमति प्रदान की हुई है.
विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा सर्वोपरि है, पर दीपावली पर पटाखों की पुरानी परंपरा चली आ रहीं है, ऐसे में सरकारों को पूर्ण प्रतिबंध की जगह बीच का रास्ता निकालना चाहिए.
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