लखनऊ : बसपा सुप्रीमो का कड़ा एक्शन, बागी विधायकों पर गिरी गाज

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नामाकंन के दौरान चले हाई वोल्टेज ड्रामें के पटाक्षेप के बाद अपने प्रत्याशी का नामाकंन पत्र सही साबित करने के बाद अब बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती की गाज उन बागी विधायकों पर गिरी है, जिन्होंने पार्टी के साथ भितरघात करते हुए यह पूरा घटनाक्रम रचा था।

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में नामाकंन के दौरान चले हाई वोल्टेज ड्रामें के पटाक्षेप के बाद अपने प्रत्याशी का नामाकंन पत्र सही साबित करने के बाद अब बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती की गाज उन बागी विधायकों पर गिरी है, जिन्होंने पार्टी के साथ भितरघात करते हुए यह पूरा घटनाक्रम रचा था।

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बसपा सुप्रीमों ने इन 07 बागी विधायकों पर कार्रवाई करते हुए इन्हे पार्टी से निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही बसपा विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायन दीक्षित के सामने इन सभी बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की अपील करेगी। जिन बसपा विधायको ने बगावत की है उनमे भिनगा से असलम राइनी, हापुड की ढोलाना से असलम अली, प्रयागराज की प्रतापपुर से मुजतबा सिद्दीकी, प्रयागराज की हंडिया से हाकिम लाल बिंद, सीतापुर की सिधौली से हरगोविंद भार्गव, जौनपुर की मुंगरा बादशाहपुर से सुषमा पटेल तथा आजमगढ़ की सगड़ी विधासभा सीट से वंदना सिंह शामिल है।

एमएलसी चुनाव में सपा को हराने के लिए सारी ताकत लगा देंगी माया
बसपा सुप्रीमों ने गुरुवार सुबह कहा कि उन्होंने तय किया है कि यूपी में भविष्य के एमएलसी चुनावों में सपा उम्मीदवार को हराने के लिए, वह अपनी सारी ताकत लगा देंगी और चाहे उन्हे अपना वोट भाजपा उम्मीदवार या किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को देना पड़े, वह यह करेंगी। उन्होंने कहा कि सपा से गठबंधन हमारी भूल थी। लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा के साथ हाथ मिलाया था। सपा में परिवार की अंदर लड़ाई थी, जिसकी वजह से गठबंधन कामयाब नहीं हुआ।

कहा, सपा के साथ हाथ नहीं मिलाना चाहिए था
उन्होेंने कहा कि जब बसपा ने यूपी में पिछले लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो बसपा ने इसके लिए बहुत मेहनत की और गठबंधन के बाद पहले दिन से ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा से कहते रहे कि जब बसपा-सपा ने हाथ मिला ही लिया है तो उन्हे जून 1995 के मामले को वापस ले ले। जब हमने लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद समाजवादी पार्टी के व्यवहार को देखा, तो हमने महसूस किया कि हमने उनके खिलाफ 02 जून 1995 के उस मामले को वापस लेते हुए एक बड़ी गलती की है, जिसमे उनकी हत्या करवाने का षड़यंत्र किया गया था। उन्होंने कहा कि उन्हे सपा के साथ हाथ नहीं मिलाना चाहिए था, थोड़ा गहराई से सोचना चाहिए था।

बदले बागी विधायकों के सुर भी
दूसरी ओर निलंबित किए जाने के बाद अब बागी बसपा विधायकों ने भी यू टर्न ले लिया है। कल तक बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाने वाले ये बागी विधायक जहां सपा मुखिया से उनकी मुलाकात को अफवाह करार दे रहे हैं तो वहीं बसपा सुप्रीमों को अपना नेता और स्वयं को बसपा का विधायक बता रहे हैं। कड़ी कार्रवाई की बात कहे जाने के बाद इन सभी बागी विधायकों के सुर बदल गए है। बसपा के बागी विधायकों का कहना है कि उनकी बैठक होनी है और इसके बाद यह तय होगा कि आगे क्या किया जाना है। इन बागी विधायकों का कहना है कि बसपा सुप्रीमों मायावती हम सबकी नेता है, उन्होंने हमे पार्टी से निलंबित किया है हम लोग बहुजन समाज पार्टी के विधायक कल भी थे और आज भी है, हम पार्टी छोड़ने का काम नहीं करेंगे। बागी विधायकों ने सपा मुखिया से मुलाकात की बात को भी सिरे से नकारते हुए कहा कि यह सभी बाते अफवाह है।

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