शरद पूर्णिमा 2020 : जानें क्या है इसका महत्व, पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

इसी दिन से कार्तिक मास के यम, नियम, व्रत और दीपदान का क्रम शुरू हो जाएगा।

शरद पूर्णिमा 2020: वैसे तो वर्ष में 12 पूर्णिमा की तिथियां आती हैं। लेकिन अश्विन माह की पूर्णिमा का अपना विशेष महत्व होता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अपनी रोशनी बिखेरता है। साथ ही चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदे झरती हैं। यह बूंदे जिस चीज पर गिरती हैं, उसमें अमृत का संचार हो जाता है।

ये है पूजा का समय

बताते चलें कि इस वर्ष शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर 2020 को शाम 5:47:55 बजे से शुरू हो जाएगी। यह 31 अक्टूबर को शाम 8:21:07 बजे तक रहेगी। इसी दिन से कार्तिक मास के यम, नियम, व्रत और दीपदान का क्रम शुरू हो जाएगा।

इस प्रकार करें पूजा

इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें संभव हो तो नदी में स्नान करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। उन्हें लाल पुष्प, नैवेद्य आदि सुगंधित चीजें चढ़ाएं। साथ ही आराध्य देव को सुंदर वस्त्र आभूषण पहनाए। इसके बाद आवाहन, आसन, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित कर पूजन करें।

भगवान् को लगाएं भोग

यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद माता लक्ष्मी के मंत्र और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और उनकी आरती उतारें। इसके बाद माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं और किसी ब्राह्मण को इस दिन खीर का दान अवश्य करें। रात्रि के समय गाय के दूध से बनी खीर में घी और चीनी मिलाकर आधी रात के समय भगवान को भोग लगाएं। रात में चंद्रमा के आकाश के मध्य में स्थित होने पर चंद्रदेव का पूजन करें तथा खीर का नैवेद्य अर्पण करें।
रात को खीर से भरा बर्तन चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसे ग्रहण करें और सब को प्रसाद के रूप में वितरित करें। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर अवश्य रखें। पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुननी व सुनानी चाहिए। कथा से पहले लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएं।

मां लक्ष्मी करती हैं विचरण

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी घर-घर विचरण करती हैं। इस निशा में माता लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में किसी एक का भी ध्यान करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। बता दें देवी के आठ स्वरूपों में धनलक्ष्मी, राजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी हैं। शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक नित्य आकाशदीप जलाने और दीपदान करने से दुःख दारिद्रय का नाश होता है।

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