लखीमपुर खीरी : कहीं प्राकृतिक आपदा तो कहीं सिस्टम की मार और ‘किसान बेहाल’

यूपी के तराई क्षेत्र में अन्नदाता की कमर टूटती जा रही है कभी प्राकृतिक आपदा तो कहीं सिस्टम की मार से किसान बेहाल हो चुका है हालात या है कि किसानों अपनी फसल बेचकर लागत भी वापस नहीं आ रही है।

यूपी के तराई क्षेत्र में अन्नदाता की कमर टूटती जा रही है कभी प्राकृतिक आपदा तो कहीं सिस्टम की मार से किसान बेहाल हो चुका है हालात या है कि किसानों अपनी फसल बेचकर लागत भी वापस नहीं आ रही है।

लखीमपुर खीरी में धान खरीद का जमीनी तौर पर हाल खराब

जी हां धान खरीद को लेकर सूबे के सीएम आए दिन सरकारी मशीनरी को दुरुस्त करने में लगे हैं लेकिन लंगड़ा और बहरा सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा है नेता सियासत कर रहे हैं और अधिकारी आंकड़े बाजी ऐसे में अन्नदाता ही भुखमरी की कगार पर पहुंच चुका है लखीमपुर खीरी में धान खरीद का जमीनी तौर पर हाल खराब है।

यूतो कागजो पर कई गुना खरीद पिछली बार से ज्यादा कर ली गई है। लेकिन बेचने वाला अन्नदाता किसान बेहद परेशान है।ज़िले की लगभग हर मंडी में हालात एक जैसे ही है।किसान कड़ी मेहनत के साथ फसल का सही मूल्य पाने के लिए कही ज़्यादा मेहनत करने को मजबूर है।

शहर से सटी राजापुर मंडी में किसानों का धान सरकारी केंद्रों पर खरीदा नही जा रहा।अलबत्ता किसानों को मंडी परिसर में कई रात भी गुजारनी पड़ रही हैं।ज़िले भर में 129 क्रय केंद्र है और सभी जगह पहुचने पर पहली कोशिश यही होती है कि किसी तरह बहाना बनाकर खरीद न की जाए और आढ़तियों से ही लिया जाए।

अफसरो के मंडी पहुचने की भनक पर यह रेट जरूर बढ़ जाता है

किसान कही कही पर 5दिन से धान बेचने के लिए दिन रात एक किये हुए है।एक तो बेचने में समय और बहाने ,और कहि आढ़तिये के पास पहुच गया किसान तो रेट 900 1000 का।ऐसे में अधिकांश किसान इसी रेट में धान बेचने को मजबूर दिख रहे है।हालांकि अफसरो के मंडी पहुचने की भनक पर यह रेट जरूर बढ़ जाता है।फिलहाल किसान इस खरीद से परेशान और अफसरों का दावा बेहतर खरीद का है।

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