4 नवंबर को है करवाचौथ, सुख-सौभाग्य चाहती हैं तो इस मंत्र से करें पूजा…

करवा चौथ का व्रत सभी शादीशुदा महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन की तैयारियां काफी जोर-शोर से और कई दिनों पहले से ही चलने लगती हैं।

करवा चौथ का व्रत सभी शादीशुदा महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। इस दिन की तैयारियां काफी जोर-शोर से और कई दिनों पहले से ही चलने लगती हैं। महिलाएं इस दिन अपने बेस्‍ट लुक में दिखना चाहती हैं, जिसके लिए वह साड़ी से लेकर गहने और यहां तक कि हाथों में रचाई जाने वाली मेहंदी तक पहले से डिसाइड कर लेती हैं।

इस वर्ष 4 नवंबर ,बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन मिटटी के करवा में जल भरकर पूजा में रखना बेहद शुभ माना गया है और इसी से रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।

 

इस मंत्र से करें चंद्रमा की पूजा
नारदपुराण के अनुसार महिलाएं सोलह श्रृंगार कर सांयकाल में भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कर्तिकेय,गणेश एवं चंद्रमा का विधिपूर्वक पूजन करते हुए नैवेद्य अर्पित करें।

अर्पण के समय यह कहना चाहिए कि ”भगवान कपर्दी गणेश मुझ पर प्रसन्न हों।”और रात्रि के समय चंद्रमा का दर्शन करके यह मंत्र पढते हुए अर्घ्य दें, मंत्र है- ”सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व मे।अर्थात हे! मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें।

मेरे परिवार में सुख शांति का वास रहे। मां पार्वती उन सभी महिलाओं को सदा सुहागन होने का वरदान देती हैं जो पूर्णतः समर्पण और श्रद्धा विश्वास के साथ यह व्रत करती हैं। पति को भी चाहिए कि पत्नी को लक्ष्मी स्वरूपा मानकर उनका आदर-सम्मान करें क्यों कि एक दूसरे के लिए प्यार और समर्पण भाव के बिना यह व्रत अधूरा है।

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