अनपढ़ आदिवासी महिलाओं ने किया MBA वालों को फेल ऐसे कमाया करोड़ों का टर्नओवर

कहते है कड़ी मेहनत किस्मत का लिखा भी बदलने की काबिलयत रखता है। सारे बंधनो और मर्यादाओं की ढेड़ी को लांग कर अपने सपने और लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जरुरी है तो बस एक कोशिश की।

कहते है कड़ी मेहनत किस्मत का लिखा भी बदलने की काबिलयत रखता है। सारे बंधनो और मर्यादाओं की ढेड़ी को लांग कर अपने सपने और लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जरुरी है तो बस एक कोशिश की …..

ऐसी ही एक कोशिश कर चार महिलाओं ने अपनी तकदीर बदल डाली है। अपने साथ साथ न जाने कितनो को रोजगार देकर उनकी भी किस्मत बदल डाली। जिन्होंने स्कूल कॉलेज की दहलीज़ पर पैर  भी नहीं रखा लेकिन आज खुद की कोशिशों के  करोड़ों का टर्नओवर कमा कर बड़े बड़े बिजनेस की डिग्री को मात दे दी है।

एक तरफ एमबीए की डिग्री लेकर युवा बाजारों में कई छोटे-मोटे सामान बेचते दिखते हैं। 15 से 20 हजार रुपये में जॉब करने को मजबूर हैं। दूसरी तरह एमबीए की बात छोड़िए। मामूली पढ़ाई भी न करने वालीं चार आदिवासी महिलाओं ने कमाल कर दिया। उन्होंने अपने दिमाग से ऐसा कारोबार खड़ा कर दिया, जिसका टर्नओवर आज करोड़ों में हैं।

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यकीनन ये महिलाएं दूसरी महिलाओं के लिए आज रोलमॉडल बन चुकीं हैं। लोग इन चार महिलाओं की सफलता देखकर दंग हैं। आदिवासी महिलाओं को रोजगार से जोड़कर उनकी गरीबी दूर करने की पहल करने वालीं इन चार महिलाओं का नाम है जीजा बाई, सांजी बाई, हंसा बाई और बबली।

जमीन पर गिरे एक फल ने बदल दी तक़दीर

ये महिलाएं राजस्थान की रहने वाली हैं। जंगलों में पैदा होने वाला सीताफल इनकी किस्मत संवार रहा है। दरअसल ये चार महिलाएं जंगलों में लकड़ी के लिए जातीं थीं। वहां पहाड़ों पर गरमी में पैदा होने वाला सीताफल पेड़ों पर सूख जाया करता था और फिर पककर जमीन पर गिर पड़ता। इसे शरीफा भी कहते हैं।

उनके सपनों और होसलों को एक नयी उड़ान दी है

लकड़ी के साथ महिलाएं सीताफल को भी जंगल से लाने लगीं। फिर उन्होंने इन फलों को सड़क किनारे बेचने का फैसला लिया। फलों को भारी तादात में लोगों ने पसंद किया और इन्हें काफी मुनाफा होने लगा। राजस्थान के भीमाणा-नाणा में ‘घूमर’ नाम से पहले इन महिलाओं ने अपने बिजनेस की नींव डाली।  और देखते देखते इनकी एक छोटी सी कोशिश  रंग दिखाना शुरू किया और धीरे धीरे उन्होंने अपने जैसी ही कई महिलाओं को भी इस काम में कर जोड़ कर उनके सपनों और होसलों को एक नयी उड़ान दी है।

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