संसद में खाना परोसने की उत्तर रेलवे की 52 साल पुरानी विरासत होगी समाप्त, इसे मिलेगा टेंडर 

पिछले 52 वर्षों से संसद की कैंटीन में खाना परोस रहे उत्तर रेलवे की विरासत का अंत होने जा रहा है।

नई दिल्ली। पिछले 52 वर्षों से संसद की कैंटीन में खाना परोस रहे उत्तर रेलवे की विरासत का अंत होने जा रहा है। अब यह कार्य आईटीडीसी करेगा। लोकसभा सचिवालय ने पत्र लिखकर अगली माह तक कैंटीन खाली करने के आदेश दिए हैं। कैंटीन में बेहतर गुणवत्तापार्क भोजन परोसने और इस पर दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने के लिए लोकसभा सचिवालय ने यह निर्णय लिया है।

 

पढ़ें पूरा मामला

गौरतलब है कि संसद कैंटीन के लिए नया वेंडर चुनने की प्रक्रिया जुलाई माह से चल रही है। इसकव लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने पर्यटन मंत्री और आईटीडीसी के अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। आमतौर पर संसदीय परिसर के अंदर केटरिंग का निर्णय भोजन प्रबंधन के लिए गठित की गई समिति द्वारा किया जाता है। किंतु इस बार अभी तक भोजन समिति का गठन नही हो सका है। ऐसे में लोकसभा स्पीकर कैंटीन में बेहतरीन गुणवत्तापूर्ण भोजन परोसने और उस पर मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त करने के बारे में स्वयं निर्णय लिया है।

इतनी मिलती है सब्सिड़ी

आपको बताते चलें कि संसदीय परिसर में प्रति संसदीय सत्र में पांच हजार से अधिक लोगों को खाना खिलाया जाता है। जिसमें कैंटीन के मेन्यू में 48 प्रकार व्यंजन शामिल हैं। इस खाने के लिए प्रति वर्ष 17 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाती है। जिसको समाप्त करने के साथ अच्छी गुणवत्ता का खाना मिल सके। इसके लिए यह टेंडर उत्तर रेलवे से लेकर आईटीडीसी को दिया जाना है। उत्तर रेलवे यह जिम्मेदारी 15 नवंबर तक आईटीडीसी को देने के आदेश दिए गए हैं।

इसे मिलेगी नई जिम्मेदारी

ज्ञातव्य हो कि उत्तर रेलवे संसदीय कैंटीन में सन 1968 से खाना परोस रहा है। 52 वर्षों से चली आ रही उसकी यह विरासत नवंबर से समाप्त हो जाएगी। अब यह जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पर्यटन विंग आईटीडीसी को मिलेगी। बता दें आईटीडीसी के संचालन लग्जरी फाइव स्टार अशोका होटल समूह करता है। संसदीय कैंटीन की जिम्मेदार मिलने और आईटीडीसी अधिकारियों ने कहा कि, ‘स्पीकर ने खासतौर पर ऐसे खाने पर ध्यान देने का निर्देश दिया है, जो आम आदमी और विशिष्टजनों में भेदभाव न कर सके’।

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