देश में बनी पनडुब्बी रोधी युद्धपोत की आखिरी INS कावरत्ती को किया शामिल, जानें क्या है इसकी खासियत
थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने गुरुवार को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में देश में बनी चार पनडुब्बी रोधी युद्धपोत में से आखिरी आईएनएस कावरत्ती को शामिल किया।
नई दिल्ली: थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने गुरुवार को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में देश में बनी चार पनडुब्बी रोधी युद्धपोत में से आखिरी आईएनएस कावरत्ती को शामिल किया। जहाज को भारतीय नौसेना के अपने संगठन, नौसेना डिजाइन निदेशालय द्वारा डिज़ाइन किया गया है और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा बनाया गया है। नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि आईएनएस कावरत्ती में अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सूट हैं जो पनडुब्बियों का पता लगाने और उन पर उचित कार्रवाई करने में सक्षम हैं।
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अपनी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता के अलावा, जहाज में लंबी दूरी की तैनाती के लिए एक विश्वसनीय आत्मरक्षा क्षमता भी है। भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में जनरल नरवाना द्वारा भारतीय नौसेना में प्रोजेक्ट 28 के तहत चार स्वदेशी निर्मित पनडुब्बी रोधी युद्धपोत (एएसडब्ल्यू) आखिरी आईएनएस कावरत्ती को भारतीय नौसेना में शामिल किया है।
इसे विशाखापट्टनम में कमीशन्ड किया गया। इस जंगी जहाज की खास बात है कि इसमें 90 फीसदी देसी उपकरण हैं और इसके सुपरस्ट्रक्चर के लिए कार्बन कंपोजिट का उपयोग किया गया है, जो भारतीय पोत निर्माण के इतिहास में बड़ी सफलता है। यह समारोह विशाखापत्तनम में नौसेना डॉकयार्ड में हुआ।
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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आईएनएस कवरत्ती का नाम 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तानी गुलामी से मुक्ति दिलाने वाले युद्ध में अपने अभियानों के जरिये अहम भूमिका निभाने वाले युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती के नाम पर मिला। भूतपूर्व आईएनएस कावारत्ती अरनल क्लास मिसाइल युद्धपोत था।
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