लखनऊ : पत्रकार प्रशांत कनौजिया को हाईकोर्ट से जमानत

प्रशांत कनौजिया को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है। एक ट्वीट को लेकर पुलिस ने प्रशांत कनौजिया जेल भेजा था। कनौजिया को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए गए है। 

लखनऊ। पत्रकार प्रशांत कनौजिया (Journalist Prashant Kanaujia ) को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी है। एक ट्वीट को लेकर पुलिस ने प्रशांत कनौजिया जेल भेजा था। कनौजिया को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए गए है। 

तस्वीर से सुशील तिवारी को बदनाम करने की कोशिश की गई है

पुलिस ने प्रशांत के खिलाफ 17 अगस्त को हजरतगंज थाने के एक पुलिसकर्मी द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में कहा गया था, ‘प्रशांत कनौजिया द्वारा छेड़छाड़ की गई तस्वीर से सुशील तिवारी को बदनाम करने की कोशिश की गई है।

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प्रशांत ने लिखा था कि यह तिवारी का निर्देश है कि अयोध्या के राम मंदिर में शूद्र, ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रवेश निषेध होना चाहिए और सभी लोग इसके लिए आवाज उठाएं।

धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है

आगे कहा गया था, ‘इसे सुशील तिवारी की पोस्ट के स्क्रीनशॉट के बतौर शेयर किया जा रहा था… सोशल मीडिया पर साझा हुई पोस्ट्स का स्क्रीनशॉट संलग्न है।  इस प्रकार की आपत्तिजनक पोस्ट विभिन्न समुदायों में वैमनस्य फैलाने वाली, सामाजिक सौहार्द पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली और धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली है जिससे लोक प्रशांति भंग हो सकती है।

इसमें आईपीसी की नौ धाराओं का जिक्र किया गया है, जिनमें 153 ए/बी (धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर समूहों में नफरत फैलाने की कोशिश), 420 (धोखाधड़ी), 465 (धोखाधड़ी की सजा), 468 (बेईमानी के इरादे से धोखाधड़ी), 469 (प्रतिष्ठा धूमिल करने के उद्देश्य से धोखाधड़ी) 500 (मानहानि का दंड) 500 (1) (बी) 505(2) शामिल हैं।

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