रायबरेली : यूं ही नही कहा जाता कि गंगा जमुनी तहजीब अगर देखना हो तो आइए उत्तर प्रदेश!

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा, इन पंक्तियों को रायबरेली में मुस्लिम परिवार मोहम्मद इसहाक उर्फ मुन्ना चरितार्थ कर रहे हैं मुन्ना और उनका परिवार हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाता है। 

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा, इन पंक्तियों को रायबरेली में मुस्लिम परिवार मोहम्मद इसहाक उर्फ मुन्ना चरितार्थ कर रहे हैं मुन्ना और उनका परिवार हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाता (Isaac family make idols of Hindu deities)है। 

मूर्तिकार द्वारा मूर्तियों के बनने की संख्या में भी कटौती

पिता से मिले हुनर पर वे और उनका परिवार चार चांद लगा रहा है लेकिन इस बार कोरोना काल मे दुर्गा पूजा के सामूहिक आयोजनों पर भी प्रतिबंध होने के चलते मूर्तिकार द्वारा मूर्तियों के बनने की संख्या में भी कटौती की गई है. जिसका खासा असर देखने को मिल रहा है।

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रायबरेली के हरचंदपुर कस्बा के रघुवीर गंज बाजार निवासी मोहम्मद के शहर उर्फ मुन्ना के मरहूम पिता अब्दुल गफूर मिट्टी के लक्ष्मी गणेश आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाते थे। मुन्ना के बड़े भाई मदार बक्स का 4 साल पहले निधन हो चुका है और वह जनपद में किसी परिचय के मोहताज नहीं थे।

कोरोना काल मे महंगाई की मार देवी-देवताओं पर भी पड़ी है मुन्ना बताते हैं कि मूर्तियों की साज सज्जा का सामान लाने के लिए पहले बड़ा पुत्र खान कोलकाता जाता था लेकिन अब की बार नहीं जा पाया है छोटी बड़ी 50 दुर्गा प्रतिमाओं के अलावा लक्ष्मी गणेश कार्तिकेय व सरस्वती की भी मूर्तियां बनी है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते हम लोगों का धंधा पूरी तरीके से ठप हो गया है।

रिपोर्ट-असद खान

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