मरते दम तक नहीं भूल पाए थे शशि अपनी पहली नजर का प्यार को

60 और 70 के दशक तक अपने अभिनय से लोगों को अपना दीवाना बनाने वाले शशि कपूर की आज जयंती है।

उस दशक के सुपरहिट फिल्में जब-जब फूल खिले, कन्यादान, शर्मीली, आ गले लग जा, रोटी कपड़ा और मकान, चोर मचाए शोर, दीवार कभी-कभी और फकीरा जैसी फिल्मे आज भी लोगों को खूब भाती है।

आप को बता दें कि शशि कपूर को उनके अभिनय के लिए तीन बार नेशनल अवॉर्ड भी दिया गया।

आज शशि कपूर की जयंती पर हम आप को बताएंगे उनकी और जेनिफर कैंडल की प्रेम कहानी के बारे में—-

इतनी मुलाकात किसी फिल्म से कम नहीं है।

शशि कपूर और जेनिफर की पहली मुलाकात रॉयल ओपेरा हाउस में हुई थी

यह लव स्टोरी 1956 में शुरू हुई। और शशि इस मोहब्बत के माया में ऐसे फसें कि फिर बाहर नहीं  निकल पाए।

बीबीसी के मुताबिक इस प्यार के चलते ही शशि कपूर अपने होने वाले ससुर की थिएटर कंपनी से भी जुड़ गए थे।

लेकिन जेफ्री कैंडल अपनी बेटी को लेकर काफी पजेसिव थे और नहीं चाहते थे कि शशि कपूर की उनसे शादी हो।

फिर एक दिन जेनिफर ने शशि कपूर के लिए अपने पिता का घर छोड़ दिया।

1958 में शशि कपूर और जेनिफर की शादी हो गई।

हालांकि इधर कपूर खानदान भी विदेशी बहू को लेकर सहज नहीं था पर शशि कपूर की जिद के आगे सबको हार मानना पड़ा।

एक साल के अंदर शशि कपूर पिता बन गए।

शशि कपूर के लिए जेनिफर ने अपना थिएटर प्रेम भी कुर्बान कर दिया था।

लेकिन इस दौरान शशि कपूर का फिल्मी करियर परवान चढ़ने लगा

और वे बॉलीवुड के ऐसे कलाकार बन गए।जिसके पास बहुत काम था। इनसब में अगर किसी का हाथ था तो वो थी जेनिफर।

लेकिन 1982 में वो कैंसर की चपेट में आ गईं।

शशि कपूर ने मुंबई से लेकर लंदन तक के डॉक्टरों से इलाज कराया लेकिन 7 सितंबर, 1984 को जेनिफर का निधन हो गया।

इसके साथ ही शशि कपूर की दुनिया में एक ऐसा सूनापन आ गया जो उनकी मौत तक उनके साथ रहा।

जेनिफर  की मौत के बाद शशि बहुत अकेलापन महसूस करने लगे थे।

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