लोजपा के कुख्यात नेता का नहीं है कोई सानी, जरायम की दुनिया के है बेताज बादशाह

सुनील पांडेय का नाम अपहरण, हत्या, रंगदारी समेत अन्य कई संगीन अपराधों से जुड़ा है। सुनील पांडेय का

सुनील पांडेय का नाम अपहरण, हत्या, रंगदारी समेत अन्य कई संगीन अपराधों से जुड़ा है। सुनील पांडेय का पुराना परिचय यह है कि उनकी छवि कुख्यात बाहुबली नेता की है। उनका नाम कभी ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या में आता है, तो कभी वो एक अपराधी को जेल से भगाने के मामले में गिरफ्तार होते हैं तो कभी यूपी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी को मारने के लिए 50 लाख रुपये की सुपारी देते हैं। सुनील पांडेय फिलहाल लोकजन शक्ति पार्टी (LJP) के नेता हैं।

भगवान महावीर पर पीएचडी कर चुके सुनील पांडेय बिहार के चर्चित डॉन रहे हैं। रोहतास के नावाडीह गांव के रहने वाले सुनील पांडेय ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। कहा जाता है कि बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान उनका किसी लड़के से झगड़ा हो गया और उन्होंने उस लड़के को चाकू मार दिया। इसके बाद वो अपने गांव लौट आए।

 

आरा और आसपास के इलाके में कभी सिल्लू मियां की गुंडई काफी ज्यादा हुआ करती थी। कहा जाता है कि बिहार आने के बाद सुनील पांडे, सिल्लू मियां के शागिर्द बन गए और फिर अपराध जगत में सक्रिय हो गए। जल्दी ही सिल्लू मियां की हत्या हुई औऱ इस हत्याकांड में नाम आया सुनील पांडेय का लेकिन सबूत नहीं मिला तो केस भी दर्ज नहीं हुआ।

सुनील पांडेय कभी रणवीर सेना के मुखिया ब्रह्रोश्वर मुखिया के भी करीबी रहे हैं। लेकिन कहा जाता है कि जल्दी ही दोनों के बीच दुश्मनी भी हो गई। 1 जून, 2012 को रणवीर सेना के मुखिया ब्रह्मेश्वर सिंह की हत्या कर दी गई थी। उस वक्त भी दबी जुबान में लोग सुनील पांडेय पर इस हत्या का आरोप लगा रहे थे। कड़क अंदाज और

रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी के नेता हैं। 3 बार विधायक रह चुके हैं। दो बार जेडीयू से और एक बार समता पार्टी से। मार्च, 2000 मे बिहार में विधानसभा के चुनाव थे। समता पार्टी के टिकट पर सुनील पांडेय भी चुनावी मैदान में उतर गए। रोहतास के पीरो विधानसभा से चुनाव लड़े। राजद प्रत्याशी काशीनाथ को चुनाव में मात दी और पहली बार विधायक बन गए।

बहुमत किसी को नहीं मिला था तो सुनील पांडेय ने मोकामा के सूरजभान, बनियापुर के धूमल, राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, रमा सिंह और अनंत सिंह जैसे उस वक्त के निर्दलीय बाहुबलियों को नीतीश के पाले में खड़ा कर दिया। सरकार तो बच नहीं पाई, लेकिन सुनील पांडेय का नाम बिहार की सियासत में अहम हो गया।

बात मई 2003 की है। पटना के एक नामी न्यूरो सर्जन रमेश चंद्रा का अपहरण हो गया। फिरौती में 50 लाख रुपये मांगे गए लेकिन पुलिस ने तेजी दिखाई और नौबतपुर इलाके से डॉक्टर को खोज निकाला। केस में नाम आया पीरो के विधायक सुनील पांडेय का। साल 2008 में सुनील पांडेय को तीन अन्य लोगों के साथ उम्रकैद की सजा हुई लेकिन बाद में बरी हो गये।

28 जून 2006 को जब सुनील पांडेय पटना के सबसे आलीशान होटलों में से एक मौर्या में रुके थे तब अगली सुबह जब वे होटल से चेक आउट कर रहे थे तो होटल के पैसे नहीं दिए। पांडेय ने दावा किया कि होटल के मालिक ने उनके दोस्त से 47 लाख रुपये लिए हुए हैं। इसलिए वो पैसे नहीं देंगे। जब पत्रकारों ने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने एक टीवी चैनल के कैमरामैन को जान से मारने की धमकी दी थी यह घटना कैमरे में रिकॉर्ड हो गई। नीतीश कुमार ने पांडेय को पार्टी से निकाल दिया।

साल 2010 में जब नीतीश कुमार ने सुनील पांडे को दोबारा टिकट दिया तो सब हैरान रह गए। वो इसलिए क्योंकि जो चुनावी हलफनामा दिया, उसमें सुनील पर 23 आपराधिक मुकदमे थे, जिसमें रंगदारी, हत्या की कोशिश, डकैती, लूट और अपहरण के मामले थे। 23 जनवरी 2015 को आरा के सिविल कोर्ट में धमाका हुआ और दो लोगों की मौत हो गई इस मामले में भी सुनील पांडेय का नाम सामने आया था।

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