लखनऊ : नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने की राज्यपाल से यूपी सरकार को बर्खास्त करने की मांग

नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखा  है। यूपी में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर पत्र लिखा है। हाथरस की घटना को लेकर भी सरकार पर लगाए गम्भीर आरोप  लगाए है। 

लखनऊ।  नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी (Opposition Ramgovind Chaudhary )ने राज्यपाल (Governor) आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखा  है। यूपी में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर पत्र लिखा है। हाथरस की घटना को लेकर भी सरकार पर लगाए गम्भीर आरोप  लगाए है। 

बुलंदशहर और लखनऊ की घटनाओं का भी पत्र में जिक्र किया

एनसीआरबी के आंकड़ों के जरिए यूपी सरकार पर अक्षमता का आरोप लगाया गया है। बलरामपुर,बागपत, मेरठ, फतेहपुर, अलीगढ़, उन्नाव, लखीमपुर, महाराजगंज, मथुरा, प्रयागराज, आजमगढ़, बुलंदशहर और लखनऊ की घटनाओं का भी पत्र में जिक्र किया।

यूपी सरकार पर किसानों, बेरोजगारों और दलितों की आवाज दबाने का आरोप लगाया है। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने राज्यपाल से यूपी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। यूपी सरकार को बर्खास्त करने के लिए केंद्र को संस्तुति भेजने की मांग की।

आपको बता दें कि नेता प्रतिपक्ष, उत्तर प्रदेश रामगोविन्द चौधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में अपहरण करके फिरौती न मिलने पर हत्या, लूट, डकैती के साथ रोज मर्डर और बीमार प्रदेश में बदलने के बाद मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ अपने पुराने रास्ते पर लौट रहे हैं।

इसे लेकर सूबे के लोग सावधान रहें और किसी भी कीमत पर आपसी सदभाव और भाईचारे का माहौल बनाए रखने की कोशिश करें। खासतौर से समाजवादी पार्टी के साथी मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ और उनकी टीम की ओर से होने वाले दंगों को रोकने के लिए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहें।

सूबे के लोग मुख्यमन्त्री के पुराने रिकार्ड को याद करें

मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव को लेकर एक बयान में कहा है कि विकास नहीं पसन्द करने वाले जातीय व साम्प्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता विपक्ष के इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करें। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष चौधरी ने सोमवार को कहा है कि सूबे के लोग मुख्यमन्त्री के पुराने रिकार्ड को याद करें।

उन्होंने बतौर मुख्यमन्त्री अपने ऊपर लगे मामलों को वापस नहीं लिया होता तो वह आज इस बड़ी कुर्सी की जगह खुद कानून की गिरफ्त में होते। मुख्यमन्त्री होने के बाद भी योगी आदित्यनाथ कानून के शिकंजे को भूले नहीं हैं। इसलिए वह कानून का राज स्थापित करने की जगह कानून की मर्यादा को तार तार कर रहे हैं। इसे लेकर केवल विपक्ष नहीं, पक्ष के भी संवेदनशील और समझदार लोगों को भी सावधान रहने की जरूरत है।

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