पीड़ित परिवार के अनुसार सबसे बुरा बर्ताव डीएम का, बर्खास्त करे सरकार: प्रियंका

कांग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाथरस मामले में जिलाधिकारी

कांग्रेस महासचिव और पार्टी की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाथरस मामले में जिलाधिकारी (डीएम) को बर्खास्त कर उनकी भूमिका की जांच की मांग की है। प्रियंका ने रविवार को ट्वीट किया हाथरस के पीडि़त परिवार के अनुसार सबसे बुरा बर्ताव डीएम का था। उन्हें कौन बचा रहा है? उन्हें अविलंब बर्खास्त कर पूरे मामले में उनकी भूमिका की जांच हो।

उन्होंने कहा,परिवार न्यायिक जांच मांग रहा है तब क्यों सीबीआई जांच का हल्ला करके एसआईटी की जांच जारी है। यूपी सरकार यदि जरा भी नींद से जागी है तो उसे परिवार की बात सुननी चाहिए। गौरतलब है कि हाथरस में पिछले दिनों एक दलित लडक़ी से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले में राज्य सरकार ने शुक्रवार को वहां के पुलिस अधीक्षक, पुलिस क्षेत्राधिकारी और इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था।

इसी बीच, जिलाधिकारी प्रवीण लक्षकार का एक कथित वीडियो सामने आया है, जिसमें वह परिवार को धमकाते हुए नजर आ रहे हैं। लिहाजा उन्हें भी हटाने की मांग जोर पकड़ रही है। प्रियंका ने इससे पहले कहा कि हाथरस की घटना का पीडि़त परिवार सरकार से कुछ सवाल और मांग कर रहा है। उन्होंने ट्वीट किया, हाथरस के पीडि़त परिवार के प्रश्न उच्चतम न्यायालय के जरिए पूरे मामले की न्यायिक जांच हो, हाथरस डीएम को निलंबित किया जाए और किसी बड़े पद पर नहीं बैठाया जाए, हमारी बेटी के शव को बगैर हमसे पूछे पेट्रोल से क्यों जलाया गया, हमें बार-बार गुमराह किया, धमकाया क्यों जा रहा है? हम इंसानियत के नाते चिता से फूल चुनकर लाए मगर हम कैसे मानें कि यह शव हमारी बेटी का ही है? प्रियंका ने कहा कि इन प्रश्नों के उत्तर पाना इस परिवार का हक है और सरकार को ये जवाब देना पड़ेगा।

ज्ञातव्य है कि प्रियंका और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को हाथरस जाकर पीडि़त परिवार से मुलाकात की थी। राज्य सरकार ने शनिवार देर शाम ही घटना की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश कर दी थी। हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में गत 14 सितंबर को दलित लडक़ी से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस दौरान गंभीर रूप से चोटिल होने पर उसे अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी। इस घटना को लेकर विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा था।

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