जानिए वो कौन से 5 पात्र हैं जो रमायण से लेकर महाभारत काल तक थे मौजूद

रामायण और महाभारत महाकाव्य हिंदू संस्कृति के आधार हैं. इन दोनों ग्रंथों में मनुष्य के जीवन के

रामायण और महाभारत महाकाव्य हिंदू संस्कृति के आधार हैं. इन दोनों ग्रंथों में मनुष्य के जीवन के हर पक्ष की चर्चा मिलती है. इन दोनों महाकाव्यों के रचनाकार और रचनाकाल अलग-अलग हैं. प्रचिलत अवधारण है कि रामायण की रचना पहले हुई थी. रामायण के कुछ प्रमुख पात्र महाभारत में नजर आते हैं. आज हम आपको ऐसे पांच प्रमुख पात्रों के बारे में बताएंगे.

भगवान हनुमानजी
श्रीराम भक्त हनुमान रामायण के प्रमुख पात्र हैं. हनुमान जी अमर हैं. वह प्रत्येक युग में उपस्थित हैं. महाभारत काल में पांडवों के वनवास के दौरान वह जंगल में भीम से मिलते हैं. महाभारत के युद्ध के दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ की पताका में उपस्थित थे.

भगवान परशुराम
भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार थे. रामायण में भगवान परशुराम सीता स्वयंवर के प्रसंग में नजर आते हैं. वह शिव धनुष टूटने से वह बहुत क्रोधित हो जाते हैं. वहीं महाभारत में उनका वर्णन भीष्म और कर्ण के गुरू के रूप में भी आता है.

जामवंत
रामायण में वानर सेना के एक प्रमुख योद्धा जामवंत का भी वर्णन महाभारत में आता है. जामवंत का श्रीकृष्ण से युद्ध हुआ था परंतु जब उन्हें यह ज्ञान होता है कि श्रीकृष्ण ही भगवान विष्णु के अवतार हैं तो वह अपनी बेटी जामवंती की शादी श्रीकृष्ण से कर देते हैं.

मयासुर
मयासुर का रामायण और महाभारत दोनों में वर्णन मिलता है. हालांकि इनके बारे में लोग कम जानते हैं. मायासुर रावण के ससुर थे. महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने जब इसके प्राण लेने चाहे तब अर्जुन ने मायासुर को जीवनदान दिलाया. बाद में मायासुर ने युधिष्ठिर के लिये सभाभवन का निर्माण किया जो मायासभा के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इसी सभा के वैभव को देखकर दुर्योधन पाण्डवों से ईर्ष्या करने लगा था.

महर्षि दुर्वासा
महर्षि दुर्वासा भी रामायण और महाभारत दोनों में उपस्थित हैं और दोनों की महाकाव्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक कथा के अनुसार दुर्वासा के शाप के कारण लक्ष्मणजी को राम जी को दिया वचन भंग करना पड़ा था. महाभारत काल में इन्होंने कुंती को संतान प्राप्ति का मंत्र दिया था.

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