कोरोना काल में डिप्रेशन की पहचान करने में न करे देरी, जानिए इसके कुछ ख़ास लक्ष्ण

कई लोग डिप्रेशन में अपनी लाइफ को बर्बाद करने पर उतारू हो जाते हैं। बेशक डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति को ये समझ नहीं आता है कि उसे क्या करना चाहिए क्या नहीं। अगर आपको भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर संजय मुखर्जी आपकी मदद कर सकते हैं। डॉक्टर के अनुसार, अवसाद तीन तरह के होते हैं- माइल्ड, मॉडरेट और मेजर। इनसे निपटने का तरीका भी अलग-अलग होता है।

सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है. विशेषज्ञों के मुताबिक उदासी इसका सबसे प्रमुख लक्षण और प्रदर्शन है. डिप्रेशन की पहचान से पहले उदासी कम से कम दो सप्ताह तक बरकार रहनी चाहिए. इसके साथ एनेडोनिया जुड़ जाए तो सुखद अनुभूति का एहसास या दिलचस्पी गायब हो जाती है.

डिप्रेशन पर जब बॉलीवुड की नामी गिरामी हस्तियां सार्वजनिक तौर पर बात करने के लिए तैयार हैं तो आप क्यों नहीं हो सकते. अवसादग्रस्त विचारों के साथ दूसरों पर बोझ नहीं बनना किसी के लिए सामान्य बात है. लेकिन मदद नहीं मांगना फायदा के बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचा सकता है.

डिप्रेशन के अन्य लक्षणों में गैर इरादतन वजन का कम होना और भूख में कमी होता है. इसके अलावा अनजाने में वजन और भूख का बढ़ना भी शामिल होता है. बहुत ज्यादा सोना, बहुत कम नींद, काम की इच्छा का कम होना, कमजोर एकाग्रता और अनिश्चितता भी डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान है. अगर ये लक्षण दो सप्ताह तक बने रहते हैं तो डिप्रेशन की समस्या का व्यवस्थित और प्रभावी तरीके से सामना करना चाहिए.

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