बड़ी खबर : #BabriDemolitionCase में 28 साल बाद स्पेशल जज एस. के. यादव ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला…
#BabriDemolitionCase : बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा (disputed structure of Babri Masjid)गिराए जाने के मामले फैसला आने से पहले अयोध्या समेत समूचे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सी.बी.आई. के विशेष अदालत के न्यायाधीश एस. के. यादव 32 आरोपियों के समक्ष सुबह 10 बजे फैसला सुनाएंगे।
बाबरी विध्वंस केस के आरोपी विनय कटियार अदालत पहुंच गए हैं। इससे पहले मीडिया से बात करते हुए विनय कटियार ने कहा कि सजा होगी तो जेल जाएंगे, छूटते हैं तो देखेंगे। बेल होगी तो लेंगे। हमने कोई अपराध किया ही नहीं है। वहां पर मंदिर था और मंदिर बनेगा। सोमनाथ मंदिर की तरह बढ़िया मंदिर बनेगा, ऐसी कल्पना है। उसके लिए काम जारी है। 4 साल में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा।
बाबरी विध्वंस मामले में फैसले को लेकर अयोध्या में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। हर जगह पर पुलिसकर्मी तैनात हैं। यहां आने-जाने वाले लोगों की चेकिंग की जा रही है।
बता दें कि, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट का फैसला सुनेंगे। राम विलास वेदांती, साध्वी ऋतंभरा कोर्ट पहुंची।
विनय कटियार, धर्मेंद्र देव, जय भान सिंह पवैया, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, सुधीर कक्कड़, रामचंद्र खत्री, राम विलास वेदांती, लल्लू सिंह और ओमप्रकाश पांडे कोर्ट पहुंचे।
अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले के संभावित फैसले के मद्देनजर प्रयागराज में हाई अलर्ट घोषित किया गया है।
साक्षी महाराज भी लखनऊ कोर्ट में पहुंच गए हैं। अब सभी आरोपी अदालत में पहुंच गए हैं, जबकि कुछ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसले को सुन रहे हैं। कुछ ही देर में सुनवाई शुरू हो सकती है।
लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी, नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह और सतीश प्रधान को छोड़कर अन्य सभी 26 अभियुक्त अदालत में मौजूद
स्पेशल जज एसके यादव ने सभी अभियुक्तों के हाजिर होने की जानकारी पेशकार से मांगी। बचाव पक्ष के वकीलों ने पेशकार को बताया कि आने वाले अभियुक्तों में दो लोग आने वाले हैं।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शुभारंभ होने के बाद अब बाबरी विध्वंस केस में फैसले की घड़ी भी आ गई है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव आज इस मामले में फैसला सुनाने के साथ ही रिटायर हो जाएंगे।
जज ने मौजूद आरोपियों पर जानकारी ली। किसी भी समय फैसला आ सकता है। भड़काऊ भाषण,धार्मिक आधार पर उकसाने, दंगे की धाराओं में हैं आरोप। ढांचा गिराने की साजिश का भी आरोप। 351 गवाहियां हुईं। हज़ारों पन्ने के दस्तावेज पेश हुए। 25 साल पुराने मुकदमे में 2017 में SC के दखल के बाद आई थी तेज़ी .
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और इस केस में 49 आरोपी बनाए गए थे। इनमें से 17 की मौत हो चुकी है और बचे हुए 32 आरोपियों पर फैसला आना है।
आडवाणी, जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान ने कोर्ट में उपस्थित न होने की अर्जी दी।
कोर्ट रूम पहुंचे जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सभी आरोपियों को किया बरी.
हालांकि कई आरोपी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, लेकिन इनमें से कुछ निजी तौर पर अदालत में मौजूद होंगे। करीब 28 साल के लंबे अंतराल के बाद आने वाले ऐतिहासिक फैसले की संवेदनशीलता के मद्देनजर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं।
नेपाल सीमा समेत सभी जिलों में एलर्ट
नेपाल सीमा समेत सभी जिलों में सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट में रहने के निर्देश दिए गए हैं। इस मौके पर राम की नगरी अयोध्या में सुरक्षा बलों की पैनी नजर रहेगी जहां फैसले के समय कुछ आरोपी मौजूद होंगे। अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने मंगलवार को कहा कि सी.बी.आई. अदालत के फैसले के मद्देनजर सभी जिलों में सुरक्षा बलों को मुस्तैद रहने को कहा गया है। अयोध्या में सुरक्षा के खास इंतजाम किये गये हैं।
कुछ आरोपी वीडियो कान्फ्रैंसिंग से तो कुछ अदालत में होंगे मौजूद
आरोपियों के वकीलों के अनुसार पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी की उम्र का लिहाज करते हुये अदालत में निजी तौर पर उपस्थित रहने से छूट दी गई है। वे वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए अपनी मौजूदगी अदालत में दर्ज कराएंगे। इस दौरान उनके आवास के बाहर पुलिस तैनात रहेगी और अगर जरूरत पड़ी तो उन्हे घर में नजरबंद किया जा सकता है।
दोषी पाए जाते हैं तो सजा भी अलग- अलग होगी
इसी प्रकार कोरोना संक्रमण से ग्रसित मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के अलावा कोरोना से उबरने के बावजूद लगातार आक्सीजन पर चल रहे महंत नृत्य गोपाल दास अदालत में उपस्थित नहीं होंगे। मामले के आरोपी सतीश प्रधान समेत कुछ अन्य आरोपियों को भी बीमारी के कारण अदालत में मौजूद रहने से छूट प्रदान की गई है। वकीलों ने बताया कि फैसला विस्तृत होगा क्योंकि सभी 32 आरोपियों पर आई.पी.सी. की अलग अलग धाराओं के तहत मामले दर्ज हुए हैं। इसलिए अगर वह दोषी पाए जाते हैं तो सजा भी अलग- अलग होगी।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आज बड़ा फैसला आने वाला है। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid demolition case.)के फैसले का सभी को बेसब्री से इंतज़ार है। तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट है। प्रशासन ने पूरी तरह से कमर कास ली है। लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट (special CBI court)में चारों तरफ पुलिस का सख्त पहरा लगाया गया है।
आइये आज हम आपको बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुड़ी इन बातों को आप नहीं जानते होंगे।
जिन आठ नेताओं का मुकदमा था उनके खिलाफ साजिश के आरोप नहीं थे
पहले यह मुकदमा दो जगह चल रहा था. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित आठ अभियुक्तों के खिलाफ रायबरेली की अदालत में और बाकी लोगों के खिलाफ लखनऊ की विशेष अदालत में. रायबरेली में जिन आठ नेताओं का मुकदमा था उनके खिलाफ साजिश के आरोप नहीं थे।
कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ाने के आदेश जारी किए
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का ट्रायल करने वाले स्पेशल जज एस के यादव पिछले साल 30 सितंबर को ही रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने होने नहीं दिया. इनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ाने के आदेश जारी किए।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं
आदेश के मुताबिक यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया और उनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ा दिया है. ट्रायल के दौरान जज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग भी की. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इसे निबटाने की समयसीमा तय की
अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाने के मामले में 28 साल बाद फैसला आएगा. यह मुकदमे के निपटारे और फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा की अंतिम तारीख है. इस लंबे खिचे मुकदमें ने वास्तविक रफ्तार तब पकड़ी जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे निबटाने की समयसीमा तय की।
दूसरी FIR नंबर 198 राम जन्मभूमि पुलिस चौकी के प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी की थी
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 में दो साल के भीतर मुकदमा निपटा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था. इसके बाद तीन बार समय बढ़ाया और अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 तय की थी. मुकदमें पर अगर निगाह डालें तो घटना की पहली FIR नंबर 197 उसी दिन 6 दिसंबर 1992 को श्रीराम जन्मभूमि सदर फैजाबाद पुलिस थाने के थानाध्यक्ष प्रियंबदा नाथ शुक्ल ने दर्ज कराई थी. दूसरी FIR नंबर 198 राम जन्मभूमि पुलिस चौकी के प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी की थी।
मामले में विभिन्न तारीखों पर कुल 49 प्राथमिकी दर्ज कराई गईं. केस की जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई. सीबीआई ने जांच करके 4 अक्टूबर 1993 को 40 अभियुक्तों के खिलाफ पहला आरोपपत्र दाखिल किया और 9 अन्य अभियुक्तों के खिलाफ 10 जनवरी 1996 को एक और आरोपपत्र दाखिल किया. 28 साल में 17 अभियुक्तों की मृत्यु हो गई अब 32 अभियुक्त बचे हैं, जिनका फैसला आना है।
केस के लंबे समय तक लंबित रहने के पीछे भी वही कारण थे जो हर हाईप्रोफाइल केस में होते हैं. अभियुक्तों ने हर स्तर पर निचली अदालत के आदेशों और सरकारी अधिसूचनाओं को उच्च अदालत में चुनौती दी जिसके कारण मुख्य केस की सुनवाई में देरी होती रही।
चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर सुरक्षा व्यवस्था की गई है। आने जाने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है। किसी भी अनजान व्यक्ति को जाने की परमिशन नहीं है। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के फैसले का सभी को बेसब्री से इंतजार है।
बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा (disputed structure of Babri Masjid)गिराए जाने के मामले फैसला आने से पहले अयोध्या समेत समूचे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। सी.बी.आई. के विशेष अदालत के न्यायाधीश एस. के. यादव 32 आरोपियों के समक्ष सुबह 10 बजे फैसला सुनाएंगे।
हालांकि कई आरोपी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, लेकिन इनमें से कुछ निजी तौर पर अदालत में मौजूद होंगे। करीब 28 साल के लंबे अंतराल के बाद आने वाले ऐतिहासिक फैसले की संवेदनशीलता के मद्देनजर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं।
राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद ( Ram Janmabhoomi and Babri Masjid)का विवाद 9 नवंबर 2019 कुछ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ समाप्त हो गया लेकिन 6 दिसंबर 1992 में गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर विवाद आज भी चल रहा है जिस पर सीबीआई की स्पेशल कोर्ट आज आखरी फैसला सुनाएगी।
इकबाल अंसारी ने इस मामले को भी कोर्ट के फैसले पर छोड़ दिया है
इस मामले को लेकर भी दोनों पक्षों के द्वारा तमाम सबूत पेश किए गए और सुनवाई के बाद अब फैसले के इंतजार में हैं आने वाले इस फैसले को लेकर बाबरी पक्षकार इकबाल अंसारी ने इस मामले को भी कोर्ट के फैसले पर छोड़ दिया है।
आज बहुत से लोगो को इसके बारे में मालूम नही है…
इकबाल अंसारी ने बातचीत करते हुए बताया कि बाबरी विध्वंस मामले पर जानकारी देते हुुुए बताया कि बाबरी मस्जिद में मूर्ति को रात्रि में 12 बजे रखी गई और जब लोग सुबह नमाज पढ़ने गए तो मूर्ति रखी हुई मिली।और उसी वक्त एफआईआर किया गया था। 50 वर्षों से मूर्ति मस्जिद में रही और मुकदमा लोवर कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चलता रहा आज बहुत से लोगो को इसके बारे में मालूम नही है। सिर्फ हिन्दू मुसलमान का विवाद बनाये रखे।जिसके कारण यह मुकदमा इतना दिन चला।
इस विवाद में 5 लोगो की कमेटी गठित की थी
1992 में 10 लाख कारसेवक बुलाये गए थे और मस्जिद गिराई गई थी उसी का नाम बाबरी विध्वंस है। इस समय पूरी दुनिया देख रही थी।टेलीविजन व रेडियों में भी प्रसारित किया जा रहा था। जब मस्जिद गिराई गई थी उस समय कल्याण सिंह मुख्यमंत्री रहे। और केंद्र में नरसिंम्हा राव प्रधानमंत्री रहे। उन्ही के समय का यह मुकदमा है। वहीं बताया कि हमारे वालीद ( पिता ) सन 1961 में आये थे उसके पहले भी इसका विवाद चल रहा था। इस विवाद में 5 लोगो की कमेटी गठित की थी जिसमे मुख्य पक्षकार हमारे पिता हासिम अंसारी थे। वहीं कहा कि इस विवाद में हम लोग कभी सड़कों पर नही आये हमेशा कानून का सहारा लिया।
इसको लेकर कोर्ट का चक्कर लगाते रहे लेकिन कभी इस पर राजनीति नही किया। क्योंकि हम जानते थे कि इसको राजनीति में ले आये हैं।और हिन्दू मुसलमान की फिलिंग पैदा कर रहे। कानून सबूतों के आधार पर चलता है। वहीं बाबरी मस्जिद विध्वंस के आरोपियों को लेकर बताया कि यह लोग कानून का उल्लंघन किए हैं जिसके लिए सीबीआई ने उनके ऊपर मुकदमा किया है क्योंकि इनको कोर्ट में विश्वास नहीं था केवल आस्था रखते रहे।
जो हमारा फर्ज था वह हमने निभाया है…
यह लोग केवल जानते रहे बाबरी मस्जिद का मामला लोवर कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में है। इन लोगों ने जो भी किया सरकार जानती है हम लोग कानून पर छोड़ते थे कि न्याय कोर्ट करेगा आगे जिम्मेदारी सीबीआई की है जो भी इनके द्वारा सबूत इकट्ठा किया गया है। लेकिन जो हमारा फर्ज था वह हमने निभाया है और जो 6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस किया गया।
इस दौरान तमाम मकाने भी जलाए गए थे उसी का मुकदमा सीबीआई का है अब सीबीआई क्या करती है इसकी जिम्मेदारी उनकी है लेकिन जिस मामले को लेकर यह विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को फैसला कर दिया है। हिंदू मुसलमानों के बीच का राजनीतिक विवाद बन गया था हम भी यही चाहते थे कि जल्द से जल्द इस मामला समाप्त हो तो सुप्रीम कोर्ट ने कर दिया है।
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