#BabriMasjid : बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुड़ी इन बातों को नहीं जानते होंगे आप

आइये आज हम आपको बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुडी इन बातों को बताते है ....

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आज बड़ा फैसला आने वाला है। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Masjid demolition case.)के फैसले का सभी को बेसब्री से इंतज़ार है। तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट है। प्रशासन ने पूरी तरह से कमर कास ली है। लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट (special CBI court)में चारों तरफ पुलिस का सख्त पहरा लगाया गया है। 

आइये आज हम आपको बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से जुडी इन बातों को आप नहीं जानते होंगे।

जिन आठ नेताओं का मुकदमा था उनके खिलाफ साजिश के आरोप नहीं थे

पहले यह मुकदमा दो जगह चल रहा था. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी सहित आठ अभियुक्तों के खिलाफ रायबरेली की अदालत में और बाकी लोगों के खिलाफ लखनऊ की विशेष अदालत में. रायबरेली में जिन आठ नेताओं का मुकदमा था उनके खिलाफ साजिश के आरोप नहीं थे।

कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ाने के आदेश जारी किए

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का ट्रायल करने वाले स्पेशल जज एस के यादव पिछले साल 30 सितंबर को ही रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने होने नहीं दिया. इनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ाने के आदेश जारी किए।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं

आदेश के मुताबिक यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया और उनका कार्यकाल फैसला आने तक बढ़ा दिया है. ट्रायल के दौरान जज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सुरक्षा मुहैया कराने की मांग भी की. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इसे निबटाने की समयसीमा तय की

अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाने के मामले में 28 साल बाद फैसला आएगा. यह मुकदमे के निपटारे और फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा की अंतिम तारीख है. इस लंबे खिचे मुकदमें ने वास्तविक रफ्तार तब पकड़ी जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे निबटाने की समयसीमा तय की।

दूसरी FIR नंबर 198 राम जन्मभूमि पुलिस चौकी के प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी की थी

सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2017 में दो साल के भीतर मुकदमा निपटा कर फैसला सुनाने का आदेश दिया था. इसके बाद तीन बार समय बढ़ाया और अंतिम तिथि 30 सितंबर 2020 तय की थी. मुकदमें पर अगर निगाह डालें तो घटना की पहली FIR नंबर 197  उसी दिन 6 दिसंबर 1992 को श्रीराम जन्मभूमि सदर फैजाबाद पुलिस थाने के थानाध्यक्ष प्रियंबदा नाथ शुक्ल ने दर्ज कराई थी. दूसरी FIR नंबर 198 राम जन्मभूमि पुलिस चौकी के प्रभारी गंगा प्रसाद तिवारी की थी।

मामले में विभिन्न तारीखों पर कुल 49 प्राथमिकी दर्ज कराई गईं. केस की जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई. सीबीआई ने जांच करके 4 अक्टूबर 1993 को 40 अभियुक्तों के खिलाफ पहला आरोपपत्र दाखिल किया और 9 अन्य अभियुक्तों के खिलाफ 10 जनवरी 1996 को एक और आरोपपत्र दाखिल किया. 28 साल में 17 अभियुक्तों की मृत्यु हो गई अब  32 अभियुक्त बचे हैं, जिनका फैसला आना है।

केस के लंबे समय तक लंबित रहने के पीछे भी वही कारण थे जो हर हाईप्रोफाइल केस में होते हैं. अभियुक्तों ने हर स्तर पर निचली अदालत के आदेशों और सरकारी अधिसूचनाओं को उच्च अदालत में चुनौती दी जिसके कारण मुख्य केस की सुनवाई में देरी होती रही।

चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर सुरक्षा व्यवस्था की गई है। आने जाने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है। किसी भी अनजान व्यक्ति को जाने की परमिशन नहीं है। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के फैसले का सभी को बेसब्री से इंतजार है।

बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा (disputed structure of Babri Masjid)गिराए जाने के मामले फैसला आने से पहले अयोध्या समेत समूचे उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।  सी.बी.आई. के विशेष अदालत के न्यायाधीश एस. के. यादव 32 आरोपियों के समक्ष सुबह 10 बजे फैसला सुनाएंगे।

हालांकि कई आरोपी वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, लेकिन इनमें से कुछ निजी तौर पर अदालत में मौजूद होंगे। करीब 28 साल के लंबे अंतराल के बाद आने वाले ऐतिहासिक फैसले की संवेदनशीलता के मद्देनजर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए हैं।

Related Articles

Back to top button