शिवपाल सिंह यादव ने मंच पर अखिलेश यादव को दिया आशीर्वाद और कहा…
कतिपय न्यूज चैनलों द्वारा यह अफवाह फैलाई जा रही है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पैर छूये। लेकिन प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने कोई आशीर्वाद नहीं दिया। ऐसा नहीं है, प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह के ध्यान में जब यह लाया गया, तो उन्होने कई मीडिया वालों को होली की शुभकामनाये देते हुए कहा कि यह मीडिया द्वारा फैलाया जा रहा झूठ है, मैंने अखिलेश को मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया और यह भी कहा कि हमारे लोगों का सम्मान रखा जाए। बातचीत के दौरान उन्होने खुल कर कहा कि 2022 के चुनाव में वे सपा के साथ मिल कर चुनाव लड़ेंगे।
वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बारे में भी मीडिया के द्वारा भ्रामक खबरे फैलाई जा रही है। मंच के परिदृश्य को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत करके लोग यह कह रहे हैं कि अखिलेश यादव ने प्रोफेसर राम गोपाल यादव के पैर छूने के लिए दोनों हाथ बढ़ाए, झुक कर प्रणाम किया। जबकि शिवपाल सिंह यादव का पैर छूते समय एक हाथ से माइक पकड़े रहे। यह महज इत्तेफाक है। जिस समय शिवपाल सिंह मंच पर आए, उसके कुछ समय पहले नेताजी के कहने पर अखिलेश माइक संभाल चुके थे। नेताजी की आज्ञा की अवहेलना खुले मंच पर परिवार का कोई सदस्य नहीं करता है।
शिवपाल सिंह यादव ने मंच पर अखिलेश को दिया आशीर्वाद, कहा – मुख्यमंत्री बनो, पर हमारे लोगों का पूरा सम्मान हो – प्रोफेसर डॉ योगेन्द्र यादव
इसी दौरान उनके समीप से अपने चाचा शिवपाल को गुजरते देखा, तो पैर छूने के लिए उनके हाथ खुद ब खुद आगे बढ़ गए। दूसरे हाथ में माइक था, झटके से मुड़ने की वजह से वह गिर न जाए, उसे पकड़े रहे। इसमें ऐसी कोई बात नहीं है, जिसकी चर्चा की जाए। लेकिन हो रही है। मीडिया में ही नहीं, सैफई के लोग भी कर रहे हैं । रिश्तों की गर्मजोशी की तुलना करने का रिवाज न समाजवाद में रहा है, न ही समाज में । जब जब रिश्तों की गर्मजोशी की तुलना हुई है तब तब रिश्ते कमजोर हुए हैं ।
आज कल एक समाजवादी समर्थकों, नेताओं, कार्यकर्ताओं में एक प्रचलन हो गया है। कोई भी घटना होती है, तो लोग उस घटना को अखिलेश के एटिट्यूड से जोड़ देते हैं। उन्हें अहंकारी साबित करने का कोई मौका नहीं जाने देते । इंसान का ऐसा स्वभाव भी हो सकता है। इसे विचार नहीं करते । माइक पकड़ कर चाचा के पैर छूने को भी इसी दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। लोग अखिलेश को एटिट्यूड वाला और अहंकारी नेता बता रहे हैं। जो ठीक नहीं है।
ऐसे में जब रिश्तों की बर्फ पिघल रही हो, उसमें गर्मजोशी आ रही हो, तो 2022 को शत – प्रतिशत सफलता मिले, इसे ध्यान में रहते हुए कम से कम समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं /नेताओं / शुभचिंतकों को ऐसी बातें नहीं करना चाहिए। फिर भी जो लोग कर रहे हैं, तो यह मान लीजिये कि इनके संबंध कहीं न कहीं दूसरे लोगों से भी हैं और इन लोगों की मासिकता भी ठीक है। ऐसा पहली बार नहीं जब अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल का सम्मान करने का कोई मौका छोड़ा हो. सपा प्रमुख अखिलेश यादव सौम्यता, शालीनता और संस्कार के धनी हैं इसके लिए किसी से कोई प्रमाण लेने की जरुरत नहीं है. यही पहचान है अखिलेश यादव की.
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