इटावा- स्वास्थ्य विभाग की आंखों पर बंधी काली पट्टी, आखिर कब तक यह फर्जी संचालक लेंगे मासूमों की जान

स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों की मदद से फ़र्ज़ी निजी संचालकों के द्वारा शहर में चल रहे फर्जी क्लीनिकों में लापरवाही के चलते लोगो की जान के साथ हो रहा खिलवाड़

स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों की मदद से फ़र्ज़ी निजी संचालकों के द्वारा शहर में चल रहे फर्जी क्लीनिकों में लापरवाही के चलते लोगो की जान के साथ हो रहा खिलवाड़, लेकिन जांच के नाम पर कार्यवाही करने की बजाय मोटी रकम मिलने से स्वास्थ्य विभाग जिनकी नज़र में इंसानी जान की कोई कीमत नही शायद यही वजह है कि शहर में कई अवैध निजी क्लीनिक है जो फ़र्ज़ी तौर पर चल रहे है और इनके चलने की सिर्फ यही वजह है कि यहां से चंद नोटो की गड्डियां घड्डियों की तरह कार्यवाही को रोकने के लिए फेक दी जाती हैं।

यही कारण है कि कल फिर शहर में एक निजी क्लीनिक रघुकुल हॉस्पिटल में फिर से एक मासूम जान ले ली , यह वही क्लीनिक है जहां एक महीने बीतता नही एक और जान लापरवाही के चलते चली जाती ।

अधिकतर यहां प्रेग्नेंट महिलाएं डिलवरी के लिए आती है और उनको यहां लाने के लिए दलाली का काम करते है एम्बुलेंस के ड्राइवर और सरकारी आशा बहुएं सिर्फ इसी क्लीनिक में ही नही सारे प्राइवेट अस्पतालों में यही लोग दलाली करते है ओर जिसके एवज में इन्हें 2-5 हज़ार एक केस के लिए मिलते है तो इस कलीनिक मे जहां एक गर्भवती महिला को बड़ा ऑपरेशन करवाने के बाद भी अपने मासूम को खोना पड़ा सूत्रों की माने तो उसकी वजह थी कि जिसका ऑपरेशन इस क्लीनिक के मैनेजर की पत्नी जो सिर्फ (BAMS) की डिग्री रखती है उन्होंने किया था और परिजनों से कहाँ गया कि ऑपरेशन के लिए यहाँ सरकारी अस्पताल से नामी डॉक्टर आये थे, अगर सरकारी डॉक्टर प्राइवेट कलीनिक में जाकर ऑपरेशन कर रहे है तो यह भी गलत है लेकिन अगर ऐसा है भी तो कम से कम किसी को अपनी जान से हाथ तो नही धोना पडेगा।

इटावा एसएसपी ने पुर्व मे भी अस्पताल संचालक पर कार्यवाही करते हुए मुकदमा दर्ज कर की गिरफ्तारी की पर क्या स्वास्थ्य विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं?

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जांच के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में होती है केवल खानापूर्ति

ताकि मरीज़ों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वाले दरिंदो से मोटी रकम वसूली जाये ऐसा हम नही कह रहे अभी पिछले महीने 17 जलाई को स्टेशन बजरिया स्तिथ रघुकुल अस्पताल में एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया था जब राहतपुर निवासी महिला अनीता के पेट मे ऑपरेशन के दौरान कपड़ा छोड़ दिया गया था ।

जब परिजनों को जानकारी हुई तब अनीता का दो दिन बाद ही एक और बड़ा ऑपरेशन कर कपड़े को निकाला गया था अनीता भाग्यशाली थी कि उसकी जान बच गई , लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले पर चुप्पी साध ली मामला तूल पकड़ता देख सी एम ओ के द्वारा जांच की बात कहकर 8 दिन में अपने अधीनस्थों से रिपोर्ट देने को कहाँ लेकिन आज कई एक महीना बीत जाने के बाद भी अनीता के परिजन कार्यवाही के लिए कभी सिविल लाइन थाने तो कभी सी एम ओ ऑफिस के चक्कर लगा रहे है लेकिन जांच है कि बीरबल की खिचड़ी की तरह पकने के नाम ही नही ले रही आखिर पके भी कैसे जांच करने में ऐसे लोग शामिल है जिनका काम ही है ऐसे फ़र्ज़ी संचालकों को बढ़ावा देना है और जांच भी किस बात की दुनिया ने टी वी के माध्यम से देखा था कि अनीता के पेट मे कपड़ा कहाँ छूटा था और कहां दोबारा ऑपरेशन करके निकाला गया,और कल फिर से जच्चा-बच्चा की मौत*

इटावा थाना सिविल लाइन क्षेत्र के अंतर्गत रेलवे स्टेशन बजरिया क्षेत्र में स्थित रघुकुल हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते दूसरी महिला और उसके बच्चे की मौत का मामला सामने आया है मृतक महिला के परिजनों ने अस्पताल पर कार्रवाई के लिए पुलिस और स्वास्थ्य विभाग से लिखित में शिकायत दर्ज करवाई है।

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मृतक महिला कमला देवी के पति कप्तान सिंह ने बताया कि 2 दिन पूर्व पत्नी के अचानक प्रसव पीड़ा होने के बाद उसने अपनी पत्नी को सीएससी बढ़पुरा में भर्ती करवाया था जहां पर तैनात आशा अनीता देवी ने निजी अस्पताल में जान परिचय होने की बात कह कर निजी अस्पताल रघुकुल हॉस्पिटल में इलाज करवाने की सलाह दी जिसके बाद महिला के परिजनों ने आशा के बताए अनुसार महिला को स्टेशन बजरिया स्थित रघुकुल हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया।

जहां पर डॉक्टर आरडी सिंह ने ऑपरेशन के नाम पर 50000 जमा करवा लिए और उसकी पत्नी कमला देवी का ऑपरेशन करने के लिए उसे ऑपरेशन थिएटर लेकर गए कुछ देर बाद डॉक्टर ने उसकी पत्नी की हालत गंभीर बताते हुए उसे आगरा जिला के लिए रेफर कर दिया और मामले को गंभीर बताते हुए खुद के द्वारा एक निजी एंबुलेंस से आगरा के लिए रवाना कर दिया।

जिसके बाद उसे आगरा ले जाते समय रास्ते में ही महिला की मौत हो गई। मृतक महिला के पति ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग कर स्वास्थ्य विभाग व पुलिस विभाग को लिखित में शिकायत दर्ज करवाई है।वह इस मामले पर स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते हुए नजर आ रहे हैं उल्लेखनीय है की इटावा स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की मिलीभगत के चलते रघुकुल हॉस्पिटल में 1 माह के भीतर दूसरी मौत का मामला सामने आया है। वही जिम्मेदार स्वास्थ विभाग के आला अधिकारी कार्रवाई की बात कह कर मामले को ठंडे बस्ते में डालते नजर आते हैं। आखिर कब तक जनपद और शहर में ऐसे फ़र्ज़ी अस्पताल व्यापार करते रहेंगे और कब तक स्वास्थ्य विभाग की आंखों पर पर्दा पड़ा रहेगा???

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