जीएसटी आयुक्त से मिलकर व्यापारियों ने कहा, तत्काल वापस लें छापेमारी का आदेश
उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग द्वारा हर माह दस व्यापारियों के प्रतिष्ठानों पर छापेमारी और तलाशी संबंधी आदेश पर तीखी नाराजगी जाहिर की है। लॉकडाउन और कोविड-19 के चलते कारोबार पहले ही ठप हो चुका है, ऐसे में विभाग के इस नए फरमान से व्यापारियों व कारोबारियों में भय और रोष है। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य कर आयुक्त उत्तर प्रदेश अमृता सोनी से मिलकर नाराजगी जाहिर की।
उप्र व्यापार मण्डल के अध्यक्ष बनवारीलाल कंछल के नेतृत्व में मुलाकात करने पहुंचे प्रतिनिधि मण्डल ने कर आयुक्त से कहा, आपने हर महीने 10 व्यापारियों का चयन कर उनके यहां छापे डालने और तलाशी लेने के का आदेश दिया है। जबकि प्रदेश का व्यापारी ईमानदारी से अपना टैक्स भर रहा है। महामारी और लॉकडाउन के कारण व्यापार पहले से ही काफी खराब हालत में पहुंच चुका है। इन हालात में व्यापारी वर्ग को छापे का भय दिखाकर परेशान करना उचित नहीं है। व्यापार मण्डल आपके इस आदेश का विरोध करता है।
किसी भी व्यापारी को बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा – वाणिज्य कर आयुक्त:-
प्रतिनिधि मण्डल ने वाणिज्य कर आयुक्त से विशेष अनुसंधान शाखाओं को दिया गया आदेश तत्काल वापस लेेने की मांग की है। प्रतिनिधि मण्डल की चिंता और समस्या सुनने के बाद वाणिज्य कर आयुक्त ने कहा, किसी भी व्यापारी को बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा। कर आयुक्त ने तत्काल एक प्रेस नोट जारी कर अपने आदेश पर स्पष्टीकरण दिया। जिसकी एक कॉपी प्रतिनिधि मण्डल को भी सौंपी। कर आयुक्त ने बताया कि विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा कर चोरी आदि के लिए पहले भी छापे और तलाशी की जाती रही है। लेकिन तब कर विभाग के अधिकारी मनमाने ढंग से किसी भी व्यापारी या प्रतिष्ठान का चयन कर जांच शुरू कर देते थे, जो उचित नहीं था। 10 सितंबर को जारी किए गए आदेश में ईमानदार व्यापारियों को अनावश्यक कार्रवाई से बचाने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
आंकड़ों में गड़बड़ी मिलती है तभी जांच व तलाशी की जाएगी
ताजा आदेश में कहा गया है कि हर महीने अलग-अलग टर्नओवर की श्रेणी वाले 10 व्यापारियों का चयन कर उनके यहां छापेमारी या तलाशी लेने से पहले ऑनलाइन माध्यमों पर उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण करने का आदेश दिया गया है। कर आयुक्त ने बताया कि अब व्यापारियों के यहां छापेमारी से पहले जीएसटी पोर्टल, ई-वेबिल पोर्टल और विभागीय पोर्टल पर उपलब्ध डाटा का विश्लेषण किया जाएगा। यदि आंकड़ों में कोई गड़बड़ी मिलती है तभी जांच व तलाशी की जाएगी। इससे पहले जांच की संख्या में भी कमी आएगी और व्यापारियों का उत्पीडऩ भी थमेगा।
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