गोंडा : कुओं पर एक्शन, तालाबों पर क्यों नहीं…
गोंडा : कुओं पर एक्शन, तालाबों पर क्यों नहीं…
- खबर गोंडा से है, जहां शहर के बीचो बीच पड़ने वाले आधा दर्जन तालाब इंसानी जिंदगियों के लिए लगातार काल साबित हो रहे हैं.
- बावजूद इसके न तो नगर पालिका की कुम्भकर्णी नींद टूट रही है.
- न हीं जिला प्रशासन के वो लोग ही अब तक इन तालाबों को लेकर कोई ऐसी ठोस योजना बना पाए हैं
- जिससे हर साल इन तालाबों की वजह से होने वाली मौतों को कम किया जा सके।
- वह भी तब जबकि आज से 7 साल पहले इस मुहिम की बतौर कलेक्टर डीएम डॉ रोशन जैकब ने शुरुआत की थी
- लेकिन उनके जाते ही योजना खटाई में पड़ गई और हालात फिर से पहले जैसे हो गए।
- गोंडा शहर के बीचो बीच पड़ने वाले आधा दर्जन से ऊपर तालाब लोगों के लिए सुसाइड प्वाइंट का काम कर रहे हैं।
- हर साल इन तालाबों में दर्जनों लोगों के डूबने, हत्या करके लाश फेंकने के तमाम मामले प्रकाश में आते हैं।
जिससे नगर पालिका और जिला प्रशासन को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ता है
- लेकिन इसके बाद भी इन तालाबों को चारों ओर से वेरीकेट करने की कोई योजना नहीं बनाई जा सकी,
- ना ही इस पर कोई काम ही किया गया।
- बीते दिनों मोहल्ला महाराजगंज में एक कुएं में डूबकर हुई 5 लोगों की मौत के मामले में भी नगर पालिका की नींद तब टूटी,
- जब नगरपालिका पर ही रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर सवाल उठने लगे।
- इसके बाद आनन-फानन में नगर पालिका ने शहर के अंदर पड़ने वाले 64 कुओं का चिन्हांकन किया
- अब उन्हें कवर्ड किए जाने का काम चल रहा है।
- लेकिन सवाल अभी वही है कि अगर नगर पालिका पूर्व के मामले में इतना संवेदनशील है
- तो फिर उसे इन तालाबों का डर क्यों नहीं सता रहा है
- जिसमें हर साल डूबने से दर्जनों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाता है।
- आपको बता दें कि 7 साल पहले शहर के सभी तालाबों को चौतरफा कवर्ड किए जाने के मुद्दे पर तत्कालीन डीएम डॉ रोशन जैकब ने काम शुरू किया था.
- लेकिन इसे शहर वासियों का दुर्भाग्य ही कहें कि काम पूरा होने से पहले उन्हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी।
- अब देखना होगा कि शहर के बीचोबीच सुसाइड पॉइंट का काम कर रहे इन तालाबों को कवर किए जाने के लिए जिलाधिकारी डॉ नितिन बंसल अपनी तरफ से कोई प्रयास करते हैं या नहीं
- क्योंकि जहां तक नगर पालिका की बात है वहां के अधिशासी अधिकारी विकास सेन को यह पता ही नहीं कि क्या कभी किसी समय ऐसी कोई योजना बनी भी थी।
- गोंडा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी के इस बयान को सुनकर आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं
- यहां की नगरपालिका लोगों की जान को लेकर कितनी संजीदा है,
- या फिर यूं कहें कि उसकी नींद तब टूटती है जब कोई बड़ा हादसा होता है।
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